sweetie radhika radhey-radhey

Sunday, August 28, 2011

उत्तिष्ठ भारतः


श्री रामलीला मैदान पर मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राघवेन्द्र सरकार के आशीर्वाद में राष्ट्र हित में भ्रष्टाचार नियंत्रण जनांदोलन राष्ट्र-भक्त अन्ना हजारे के नेतृत्व में सफल रहा
यह सचमुच भ्रष्ट एवं निरंकुश भारतीय राजनीति पर जन-मानश की विजय है ..जिसके भविष्य में दूरगामी लाभ राष्ट्र को अवश्य  मिलेंगे !

आश्चर्य हुआ था जब इस देश के कथित युवराज राहुल गाँधी संसद में दिए अपने लिखे-लिखाये भाषण द्वारा इस जन-अभिव्यक्ति को राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध कर रहे थे !
उनके भाषण में था यदि कश्मीर के निवासी कश्मीर को अलग राष्ट्र हेतु आन्दोलन कर दें तो क्या कश्मीर देश से अलग कर दिया जायेगा ?
तो भाईसाहब राहुल जी आपको यह जनांदोलन कश्मीरी आतंकवाद के सदृश दीखता है .. क्या इस आन्दोलन में पुलिश की दमनात्मक प्रक्रिया के बाद भी कोई हिंसा हुई ...
और राहुल जी आप यह भी जान लें यह आन्दोलन देश की एकता व अखंडता के लिए था (जिसमें भाषा-प्रान्त-जातीयता से ऊपर उठकर देश के हर वर्ग ने अपना समर्थन दिया ) देश के टुकडे करने के लिए नहीं ..
और रही सत्य-वात -  तो राहुलजी आप और आपकी कांग्रेश पार्टी तो सदैव से आतंकी कश्मीरियों की सुनती आई है ..धारा ३७० लगाकर आप ही कश्मीर को शेष देश से अलग किये हुए हो ! आपने विस्थापित कश्मीरी पंडितों का दर्द कभी सुना ही नहीं यद्यपि आपके परनाना पंडित नेहरू स्वयं कश्मीरी पंडित समुदाय से थे !!!
आप की दादी जी  स्व.श्रीमती इंदिरा गाँधी भी अपनी शान में राष्ट्र के सपूतों द्वारा जीते गए युद्ध .19971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में वंदी 90000 पाकिस्तानी सैनिकों को शिमला समझौते में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के समक्ष बिना कोई शर्त रिहा कर युद्ध को हार जाती हों .. नहीं तो उस समय हम पाक अधिकृत कश्मीर को हारे हुए पाकिस्तान से वापस ले सकते थे !
इसी प्रकार आपके परनाना जी स्व.प. नेहरू . ने 1947 में तत्कालीन सेनाधिकारियों के मना करने एवं लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की असहमति के बाबजूद भी .. युद्धविराम कराकर एवं संयुक्तराष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठाकर  --प्लेट में सजाकर आधा कश्मीर पाकिस्तान को तोहफे में दे दिया था और कश्मीर को विवादित स्थली बना दिया था !
अब आप बताएं कि आप व आपकी पार्टी तो सदा से ही कश्मीर को लुटाती आई है/देश को बाँटती आई है 
एवं जन-आंदोलनों को कभी आपातकाल लगा कभी निरंकुशता कह लूटती आई है
आपके पापाजी स्व.राजीव गाँधी भी देश में एक राष्ट्र-एक कानून को लागू नहीं कर सके---
क्यों मुस्लिम या अन्य पर्सनल ला कानून इस देश की अखंडता को कलंकित करते है ?
..क्या आप कोई और संप्रभुता वाला देश बता सकते हैं जहाँ भारत की भांति अनेकों कानून धार्मिक तुष्टिकरण हेतु लागू हों ?
..क्यों  पोटा जैसा एक अच्छा कानून हटा कर हाल ही में एक भेद-भाव वाला वहुसंख्यक हित विरोधी नया कानून लगाने की हिमायत की जा रही है !?
मि.राहुल क्या  आप बता सकते हैं -
-क्यों आपकी पार्टी ने मंडल आयोग सदृश सिफारिसोंको लागू कर देश को जातीयता के जाल में टुकड़े-टुकड़े कर दिया ?
..आप क्यों जातीय आरक्षण के नाम पर देश-समाज को बाँट रहे हैं ?
रही बात लोगों के एकत्रित हो अनशन करने की तो एम्स अदि उच्च -शिक्षण संस्थानों के विध्यार्थियों के विरोध-हड़ताल के वावजूद भी ..निरपराध-भोले-भाले बेरोजगार युवाओं के द्वारा आत्मदाह करने पर भी आप की पार्टी मंडल के नाम वोट लूट देश एवं देशवासियों को खा रही है !
और आप बोल गए कि यदि लोगों ने कहा तो क्या ?? आरक्षण को ख़त्म कर देंगे  ??
यानि आरक्षण जैसी सामाजिक समरसता को ग्रसित करने वाली बिष-वेल को आप कभी नहीं काटेंगे और बिष-बेल को बढ़ा-चढ़ा कर देश-समाज को बिषदंशों से निष्प्राण कर अपना एवं अपनी प्राइवेट लिमिटेड कांग्रेस पार्टी का गुलाम-बंधुआ मजदूर बनाये रखेंगे 
मुझे व इस सम्पूर्ण देश को पता है कि आप उस काम  को तो कभी नहीं करेंगे जिसमें देश-देशवासियों की आवाज हो ..
आप और आप की पार्टी तो अंग्रेजों की भांति फूट डालो और राज्य करो की नीति  के तहत इस देश को वर्वाद कर शाशन करने पर तुली है 
जन-अभिव्यक्ति को आतंकवाद एवं आतंक्व्वाद-हिंसा को जन-अभिव्यक्ति-मानवाधिकार कह किस को छल रहे हो ?? 
महाशय बहुत हुआ अब जनता जाग गयी है ..
यह तो पहली वारी है कि आपका दमनचक्र टूट गया और आपने जनता के समक्ष क्षमा मांग घुटने टेक दिए .. 
आगे हम और करेंगे अपने महान राष्ट्र की सेवा-उन्नति के लिए
और आप सब राजनीतिज्ञ इसी प्रकार बस देखते रह जाओगे -अपने कुकर्मों की क्षमा मांगते हुए !! 
जय हिंद-वन्दे मातरम -जय भारत !!







कोई दर्द न जाने देश का 
भारत माता के स्नेह का 
स्वाधीनता के साथ ही दिया दंश 
पाकिस्तान का 
झूले थे फंद जो लाल प्यारे 
किया उनका अपमान था 
चीन से पिछलग्गू से 
हराया भारत निष्प्राण सा 
तिब्बत किया उसको समर्पित 
वीटो भी देदी दान कर 
लद्दाख-अरुणाचल  में भी 
रोका न उसको पहचान कर 
केशर के चन्दन जैसा कश्मीर 
छोड़ा आधा गैर मानकर 
लूट लिया ये देश प्यारा 
बाप-दादे की जागीर जानकर 
दुश्मनों को करके निरंकुश 
भोली प्रजा खूब सताई है 
वोटों की खातिर इन्होंने 
गायें भी कटवाई हैं 
धर्म-निरपेक्ष कह-कहा 
धर्म को बांधा कपट में 
अधर्म-विधर्म को पोषित 
कर दिया है जगत में 
आरक्षण विष वेल सम्मुख 
समाज में खींची खाई है 
निज राज्य हेतु ईन पापियों ने 
भ्रष्टाचार की पूंजी जमाई है 
भाग्य से जो शास्त्री-वल्लभ मिले 
दुर्भाग्य ! न इनने चलने दिया 
मार-डाला धोखे से 
न राज्य सत्य का निभने दिया 
आज भी तानाशाह जैसे 
आचरण दिखलाई है 
सत्य की आंधी चली अब
न इनकी भलाई है 
बीत गए वो दिन काले 
भूखी जनता 
इनकी मलाई है 
भारतमाता की जय 
वन्दे मातरम !!  

Friday, August 19, 2011

एक स्त्री का स्वप्न और मर्द की सोच


SWEETIE
'मैं सोचती हूँ एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब आदमी औरत के पीछे खड़ा नजर आएगा। ट्रक पर सामान लादने से लेकर हाथी का महावत बनने तक हर काम में औरतों का प्रभुत्व होना चाहिए। आदमी को घर में रुककर खाना बनाना चाहिए और जब स्त्रियाँ काम से लौटें तो उन्हें गोद में बच्चे लिए उनके लिए घर के दरवाजे खोलने चाहिए।' 
(केरल में स्थानीय निकायों के चुनावों से एक दिन पहले एक स्थानीय अखबार में एक महिला के उद्गार) 

जाहिर है कि किसी भी स्त्री का यह एक स्वप्न हो सकता है कि वह पुरुष के बराबर ही नहीं, उससे आगे खड़ी दिखाई दे। समाज में ऐसी कौन-सी स्त्री होगी जिसके मन में कभी यह न आया हो कि पुरुष भी वे सारे काम करें जिन्हें स्त्रियों के काम बताकर पुरुष निर्द्वंद्व घूमते फिरते रहते हैं? आखिर घर संभालना और बच्चे पालना सिर्फ स्त्री के ही काम क्यों हों?

केरल की स्त्री का यह स्वप्न नितांत स्वाभाविक और मानवीय है। कोई आश्चर्य नहीं कि यह स्वप्न एक दिन सच भी साबित हो जाए। पश्चिमी यूरोप के अनेक देशों में पुरुष घर के काम में पूरा हाथ बँटाते हैं। वे बच्चे पालते हैं, उनके डायपर या पोतड़े बदलते हैं, उनके लिए दूध की बोतल तैयार करते हैं और हर जिम्मेदारी निभाते हैं। कुछ देशों में तो पिताओं को भी प्रसूति सरीखा अवकाश मिलता है। 

केरल की एक स्त्री अगर आज अपने लिए ऐसा स्वप्न देख रही है, तो उसके पीछे कुछ कारण हैं। केरल में पंचायतों के चुनाव हो रहे हैं और इन चुनावों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं। महिलाएँ 50 प्रतिशत से भी ज्यादा सीटों पर जीत कर आएँगी क्योंकि अनेक सामान्य वर्ग की सीटों पर भी उनकी जीत की प्रबल संभावना है। केरल में योजनाओं के मद का एक तिहाई पैसा राज्य सरकार स्थानीय निकायों को उपलब्ध कराती है। 

SWEETIE
स्थानीय निकायों में अपना प्रभुत्व कायम होने के बाद महिलाएँ इस पैसे को खर्च करने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाएँगी। यह सही है कि केरल रातोंरात स्त्रियों के लिए स्वर्ग नहीं बन जाएगा लेकिन इतना जरूर माना जा रहा है कि इससे केरल की आम स्त्री का सशक्तीकरण होगा और समाज में उसे उस तरह के लिंग भेद का सामना नहीं करना पड़ेगा जिसका उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश आदि में आमतौर पर करना पड़ता है। 

इन राज्यों में आज भी कन्याओं को गर्भ में ही मार दिया जाता है। यही कारण है कि इन राज्यों में प्रति एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम है। यह अनुपात गड़बड़ाने से समाज में एक अलग तरह का असंतुलन पैदा हो गया है। इसका खामियाजा भी स्त्री जाति को ही भुगतना पड़ रहा है। हरियाणा और पंजाब में स्त्रियों की कमी होने से पिछले वर्षों में स्त्रियों की खरीद-फरोख्त के समाचार भी सुनने में आए थे। यह ठीक है कि समय के साथ समाज में कुछ प्रगतिशील बदलाव भी हुए हैं, लेकिन आज भी अनेक जगह स्त्री को एक वस्तु की तरह देखा और समझा जाता है। 

कृषि आधारित समाजों में प्रायः हर परिवार की कामना पुत्र पाने की होती थी। माना जाता था कि पुत्र से ही वंश आगे चलेगा और खेतिहर कामों आदि में पुत्र ही ज्यादा उपयोगी होगा। यह क्या कम चौंकाने वाली बात है कि भारतीय परंपरा में धन और यश के साथ पुत्र की एषणा या कामना का भी महत्वपूर्ण स्थान रहा है। याद नहीं पड़ता कि किसी राजा ने पुत्री की कामना से कोई यज्ञ आदि किया हो। 

अभी हाल ही में मुझे यह जानकर ताज्जुब हुआ कि मेरे एक परिचित पुत्र की चाह में अपनी पत्नी को लेकर बैंकाक गए थे। उनके पहले से एक लड़की है। थोड़े दिनों बाद उनके लड़का भी हो गया। बताया गया कि उन्होंने बैंकाक के एक अस्पताल में आईवीएफ तकनीक से अपनी पत्नी को गर्भधारण कराया। 

उन्हें कुछ दिन बैंकाक में रहना पड़ा और इस पर लगभग 5 लाख रुपए का खर्च आया। मेरे परिचित एक छोटे-मोटे उद्योगपति हैं मगर आज के युग में भी जब महिलाएँ बड़े-बड़े बिजनेस संभाल रही हैं उन्हें आगे चलकर अपने कारोबार के लिए एक अदद पुत्र ही चाहिए। तो सामंतवादी समाजों के दिन लदने और प्रगति और विकास की रोशनी आने के बावजूद हमारे समाज में पुत्रेषणा कायम है। 

SWEETIE
मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने हाल ही में चीन के बारे में एक समाचार पढ़ा। चीन ने बड़े प्रयत्न से समाजवादी समाज बनाया था। यह अलग बात है कि बाद में उसका विचलन पूंजीवादी रास्ते के रूप में भी देखने को मिला। चीन में एक परिवार-एक संतान की नीति का पालन कराया जाता है क्योंकि राज्य को लगता है कि बढ़ती आबादी को न रोका गया तो एक दिन संसाधनों की कमी हो जाएगी। 

खबर में बताया गया है कि एक गर्भवती चीनी महिला को परिवार कल्याण विभाग जबरदस्ती पकड़ कर ले गए और 8 महीने के उसके शिशु का मारपीट कर गर्भपात करा दिया। इस महिला के पहले से एक संतान थी-नौ बरस की बच्ची। अब वह एक लड़का चाहती थी। चीन में दूसरी औलाद पैदा करने वाले से वैसे ही कई रियायतें छीन ली जाती हैं मगर यहाँ तो राज्य ने जुल्मोसितम की हद ही कर दी। चीन में मीडिया पर सरकार का नियंत्रण है, फिर भी वहाँ के लोग इंटरनेट पर इस घटना का वर्णन पढ़ रहे हैं और उत्तेजित भी हैं। 

जो भी हो यह सवाल अपनी जगह है कि हमारे परिवारों को आज भी लड़का ही क्यों चाहिए? लड़की पैदा करने वाली स्त्री हमारे समाज में आज भी कई बार उपेक्षा और पारिवारिक नफरत का शिकार होती है, जैसे लड़की पैदा करने का दोष उसी का हो। 

तो क्या यह माना जाए कि हमारे सामंतवादी सोच आज भी जिंदा है और प्रगति और विकास की रोशनी खुद पथरा गई है? क्या हमारे यहाँ बड़े-बड़े पदों पर विराजमान स्त्रियों का सिर्फ प्रतीकात्मक महत्व ही है और उनके प्रति समाज के नजरिए में कोई बड़ा गुणात्मक बदलाव नहीं आया है?

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है


- स्वीटराधिका राधे-राधे
SWEETIE

आग्रहग्रस्त दृष्टिकोण हर बात में मीन-मेख निकालता है। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक (जन्म 23 जुलाई 1856, मृत्यु 1 अगस्त 1920) के विचारों पर भी पूर्वाग्रहप्रिय लोगों ने मीन-मेख की लाठियां भांजीं। जब तिलक ने कहा कि 'समाज-सुधार से पहले स्वराज की सोचो।' तो इसे तिलक-विरोधियों ने रूढ़िवादी वक्तव्य बतलाया। 

परिणामस्वरूप तिलक पर आलोचनाओं के अंगारे बरसाए गए। आग्रहग्रस्त लोगों ने तिलक को समाज-सुधारों का विरोधी कहा। लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत थी। तिलक भी समाज-सुधार चाहते थे, लेकिन सलीके से। वैसे भी यह एक सनातन सत्य है कि विवेकपूर्वक और योजनाबद्ध ढंग से किया गया कार्य सफलता का रंग जमा देता है। सलीके से की गई कोशिश सफलता की सौगात देती है। 

यही कारण है कि तिलक ने समाज-सुधार के लिए एक निश्चित कार्ययोजना और उसके व्यवस्थित क्रियान्वयन की बात पर जोर दिया। वैसे भी कहावत है कि 'जल्दी का काम शैतान का।' कोई भी सुधार ताबड़तोड़ नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए। तिलक-दर्शन के अध्येता के नाते मेरा मौलिक मत है कि समाज-सुधार किसी सड़क के उस 'पेंचवर्क' या 'मरम्मत' की तरह नहीं होना चाहिए जो किसी वीवीआईपी के आगमन पर किया जाता है और कुछ दिनों बाद ही पेंचवर्क का दम निकल जाता है।

अपितु समाज-सुधार उस हनुमानजी द्वारा लाई गई संजीवनी की तरह होना चाहिए जिसको सुंघाने से लक्ष्मण की मूर्च्छा समाप्त हो और स्थायी रूप से दम वापस आ जाए। लोकमान्य तिलक इसीलिए सलीके से, सुव्यवस्थित तरीके से समाज-सुधार चाहते थे जो स्थायी हो तथा जिससे समाज की 'दशा और दिशा' बदले। अगर तिलक समाज-सुधारों के विरोधी होते तो वे कभी भी आगरकर तथा चिपलूणकर के साथ मिलकर न्यू इंग्लिश स्कूल की 1 जनवरी 1880 में स्थापना नहीं करते। 

तिलक द्वारा अपने साथियों के साथ स्थापित किया गया यह स्कूल ही आगे चलकर 'डेकन एजुकेशन सोसायटी' के रूप में विकसित हुआ। यही नहीं तिलक ने बाद में आगरकर और आष्टे के सहयोग से फर्ग्यूसन कॉलेज खोल दिया था। 

शिक्षण-संस्थाएं प्रारंभ करने और कॉलेज खोलने की तिलक की तड़प से पता चलता है कि वे शिक्षा को ऐसा शस्त्र मानते थे जो विकारों को ध्वस्त करके सुधारों का पथ प्रशस्त करती है। लेकिन समाज-सुधार के लिए स्वराज आवश्यक है। यही कारण है कि तिलक ने समाज-सुधार के लिए स्वराज्य की पैरवी की। चूंकि तिलक ने समाज-सुधार से पहले स्वराज की बात की इसलिए विरोधियों ने आसमान सिर पर उठा लिया। जबकि वास्तविकता यह है कि समाज-सुधार के वाहन के लिए स्वराज की सड़क जरूरी है।

फोर्थ डिग्री कविता का फॉर्मूला


स्वीटराधिका राधे-राधे
SWEETIE
सारा पुलिस महकमा परेशान-हलकान था। अपराधी इतने शातिर और चट्टान की तरह मजबूत हो गए थे कि उन्हें कितना ही मारो-कूटो-पीटो, अपने जुर्म को उगलते ही नहीं थे। अपराधियों में अचानक आए इस परिवर्तन से कांस्टेबल से लगाकर होम मिनिस्टर तक आश्चर्यचकित थे। आखिर सभी अपराधियों का एकाएक शरीफ हो जाना किसी के गले नहीं उतर रहा था। पुलिस का चिर-परिचित फॉर्मूला, थर्ड डिग्री फॉर्मूला भी छोटे-छोटे अपराधियों के सामने ही ऐसे औंधे मुँह धराशायी हुआ कि जीरो डिग्री से भी बदतर साबित हुआ। सरकार को भी सूझ नहीं रहा था कि क्या करे, क्या न करे। कुल मिलाकर यह मुद्दा पूरे देश के लिए अहम मुद्दा बन गया था।

जब चिल्ल-पौं मची तो हमेशा की तरह मामले से पीछा छुड़ाने के लिए आयोग गठित कर दिया गया। दस साल बाद आई आयोग की रिपोर्ट में अपराधियों से राज उगलवाने के दस रामबाण अचूक फॉर्मूले सुझाए गए थे। आयोग की रिपोर्ट से नेता, अभिनेता, जनता सभी इसलिए भी निश्चिंत और संतुष्ट थे कि पूरे एक साल में जब एक फॉर्मूला खोजा गया है तो वह रामबाण के साथ ही श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह भी होगा। 

उत्साहित पुलिस ने दृढ़ इच्छाशक्ति और पूरे शारीरिक व आत्मबल से आयोग के फॉर्मूलों को अपराधियों पर प्रयोग किया। पूरी मुस्तैदी के साथ क्रियान्वित किए गए एक से दस तक के फॉर्मूलों का अपराधियों पर ऐसा असर हुआ जैसे वे टीवी पर राजू श्रीवास्तव का लॉफ्टर चैलेंज शो देख रहे हों। हताश होकर सरकार ने अपना माथा ही नहीं हाथ, पैर, आँख, कान, जुबान सभी पीट लिए।

SWEETIE
एक कस्बे के थाने के टीआई सा. अपने ऑफिस में थके-हारे बैठे थे। दरअसल, उन्होंने एक शातिर और पुराने जिलाबदर अपराधी को बमुश्किल पकड़ा था और उसकी डेढ़ घंटे तक की गई धुनाई से लस्त-पस्त हो गए थे। टीआई साहब ने संतरी को कड़क मीठी चाय लाने का ऑर्डर मारा। इस देश के सौभाग्य से टीआई साहब कवि भी थे। संतरी ने जैसे ही गरमा-गरम चाय टेबल पर रखी, उन्होंने गटागट हलक में उड़ेल ली। मुँह में जर्दे का गुटका दबाते ही उनके शरीर से टीआई का पद तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट हो गया और उन्होंने कवि के पद पर अपनी आमद दर्ज करा दी।

टीआई साहब सर्वोतोन्मुखी प्रतिभा के धनी कवि थे। सभी रसों की काव्य-सर्जना में उनका समान रूप से अधिकार था। कवि के पद पर ज्वाइनिंग रिपोर्ट देने के बाद उन्होंने आठ-दस कविताएँ लिख डालीं। टीआई साहब कविता लिखने के बाद ऐसे खुश, जैसे उन्हें एसपी बना दिया गया हो। थोकबंद कविताएँ लिखने के बाद आम कवियों की तरह उनके मन में उन्हें किसी को सुनाने की लहरें उठने लगीं। थाने के पूरे स्टाफ को तो वो अपनी कविताओं से बरसों से बोर कर रहे थे। टीआई ने सोचा, इन ताजी रचनाओं को किसी श्रोता को तुरंत सुनाना जरूरी है नहीं तो ये बासी हो जाएँगी।

SWEETIE
काफी देर के चिंतन-मनन के बाद सुयोग्य श्रोता की तलाश में उनका मन थाने में बंद उस अपराधी की ओर जा अटका, जिसकी उन्होंने धुनाई की थी। साला! मेरी कविता सुनेगा तो झक मारकर दाद भी देगा और ताली भी बजाएगा। टीआई साहब ने लॉकअप का ताला खुलवाया और रचनाओं सहित अंदर जा धमके। सहमा अपराधी खड़ा हो गया। टीआई साहब बोले! बंधु! कुछ ताजा कविताएँ पेश हैं। 

मगर यह क्या, अपराधी जैसे-तैसे तीन कविताएँ झेलने के बाद ही लाइन पर आ गया और बोला बस! बस!! टीआई साहब मुझे चौथी कविता मत सुनाइए। मैं आपको सब कुछ सच-सच बताता हूँ। बेचारे अपराधी ने फटाफट जुर्म का इकबाल कर लिया। फिर क्या था... टीआई साहब की फोर्थ डिग्री कविता का फॉर्मूला उन सभी थानों में लागू कर दिया गया, जहाँ पदस्थ टीआई होने के साथ ही कवि भी थे। अब सरकार नए थानेदार की भर्ती हेतु अनिवार्य योग्यता में कवि होना जरूरी कर रही है। कविता अपराधियों पर भी असर करती है, ये लोगों ने पहली बार जाना।  

लड़के-लड़कियों की अलग पढ़ाई


SWEETIE RADHIKA RADHEY-RADHEY  *
अमेरिका में अब फिर से लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग क्लासरूम लोकप्रिय हो रहे हैं। नए शोध में पाया गया है कि अलग-अलग रखने पर लड़के और लड़कियाँ न केवल आराम से खाते हैं, बल्कि पढ़ाई और आदतों पर भी अच्छा असर हुआ।

80 से 90 के दशक में भारत में को एजुकेशन यानी लड़के-लड़कियों के लिए एक साथ पढ़ाई इतनी लोकप्रिय हुई कि यह फैशन में तब्दील हो गई। अब पटरी फिर पुराने दिनों कि ओर लौट रही है क्योंकि शिक्षाविदों को समझ में आ रहा है कि अलग-अलग रखने पर लड़के और लड़कियों में काफी अच्छे बदलाव देखे गए हैं।

अमेरिका के कैंसास सिटी के तीन स्कूलों में छात्रों के बीच दुर्व्यव्हार को कम करने के लिए लड़के और लड़कियों को अलग-अलग लंच देना शुरू किया गया है। नतीजा सामने आया कि लड़के और लड़कियों दोनों की खाने की आदतें सुधरी। कैंसास का मिडिल स्कूल द विषेटे में 11 से 14 साल के लड़के-लड़कियों के लिए अब खाना अलग-अलग होता है। 

छात्रों के बीच छेड़खानी कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। प्लेजेंट वैली मिडिल स्कूल के प्रधान अध्यापक माइकल आर्किबेक कहते हैं, 'लड़कियों को यह बहुत पसंद आ रहा है क्योंकि लड़कों के बगैर उनके पास अपने लिए समय होता है और लड़के भी लड़कियों को रिझाने के लिए अतिशयोक्ति नहीं करते। मुझे लगता है कि इस उम्र के लिए एकदम सही तरीका है।' 

लेकिन प्रधानाध्यापक को सबसे अच्छी बात तो यह लग रही है कि वह बच्चे अपना खाना पूरा खत्म कर रहे हैं। इसका मतलब कि खाना फेंका नहीं जाता और बच्चे भूखे पेट पढ़ाई नहीं करते। 'मुझे विश्वास ही नहीं होता कि इतने बच्चे अब खाना खा रहे हैं।' 

वहीं विषेटे के ट्रूसडेल मिडिल स्कूल में पिछले दो साल से लड़के और लड़कियों के लिए दोपहर का भोजन अलग-अलग होता है। प्रिंसिपल जेनिफर सिनक्लेर कहती हैं कि इसका अच्छा असर बाद में भी इन बच्चों पर देखा जा सकता है। सिनक्लेर कहती हैं कि बच्चों को यह पसंद भी आ रहा है क्योंकि हाल ही में जब साथ में खाने का प्रस्ताव रखा गया तो बच्चों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। 

कैंसास के शिक्षा विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि सिर्फ विषेटे में ही इस तरह के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। वैसे अमेरिका में लड़के और लड़कियों की अलग पढ़ाई धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है क्योंकि सामने आया है कि ऐसा करने से बच्चे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देते हैं और उनके सामाजिक व्यव्हार में अच्छा बदलाव आता है। 
जनवरी 2011 में कम से कम 524 अमेरिकी पब्लिक स्कूल ऐसे थे जहाँ लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग कमरे थे। जबकि 2002 में ऐसे एक दर्जन स्कूल भी नहीं थे

Wednesday, August 17, 2011

बिनु हिंदुत्व भारत मृत सी काया . मृत है देश ,मृत जन-मानष चीन्हो !



बिनु हिंदुत्व बौरी भई जनता 
राष्ट्र अखंड बिभाजन कीनो 
पाकिस्तान सो शत्रु कीन्हो 
लूट मचाई शेष देश में 
पंगु अखंड मंडल करि दीन्हो  
स्वाभिमान को भूल गए सब 
पिट-पिट कर लालच मन लीन्हो 
राम-श्याम-शिव छोड़ के बन्धु 
कैसो भ्रम धर्म-निरपेक्ष चीन्हो 
सत्तासीन लुटेरे डाकू 
तौ कैसे होय सुख से जीनो 
गुजरात प्रान्त समृद्धि सब सम्मुख 
हिंदुत्व ही सबको सुख दीनो  
जाति-आरक्षण तृष्णा स्वारथ 
मृग मरीचिका न कोई सुख कीन्हो 
एकता हिन्दू मात्र की होवे 
सत्य-वचन मम तव ही भलो होन्हो 
"स्वीट राधिका " हेरत-टेरत 
हिंदुत्व ही या देश को गहनो 
बिनु हिंदुत्व ये मृत सी काया 
मृत है देश मृत जन-मानष चीन्हो  


जयहिंदुत्व -जयभारत    

Friday, August 5, 2011

वन्दे मातरम !


बिट्रिश राज समाप्त हुआ था अभी स्वतंत्रता वाकी है !
गुंडे-बदमाशों-चोरों से कराना सिंघासन खाली है !!
स्वराज्य का सपना सच होने में देर लगेगी न कोई अब  !
लोकमान्य का कहना होगा मिलकर तिलक करेंगे सब !!
टूटे हुए भाग देश के पाने होंगे पुनः हमें !
तव ही प्यारा देश हमारा होगा  पूर्ण स्वतंत्र सच में !!
सच्ची श्रृद्धा वीर-बलिदानी शहीदों के चरणों में यही !
भ्रष्टाचार मिटे भारत से सुखी हों भारतवासी सभी !!
जगदगुरु (भारत धर्मं-भारत राष्ट्र) को पुनः इस जग में वोही पद देना होगा !
कर्तव्यनिष्ठ -धर्मसेवक - वीर और चारित्रिक भारतवासी बनना होगा !!
वन्देमातरम जयकारों में हम शंखनाद करके महा !
पुनि समर महाभारत सृजा पायें सत्य भारत को यहाँ !!

हारेंगे पुनि शकुनी-दुर्योधन एक न चलेही कायरों की !
पार्थ-सारथि के निर्देशन जय गीता ज्ञान विचारों की !!
पार्थ सदृश पुनि भारतमाता की रक्षा करनी होगी !
सत्य-ज्ञान-भक्ति केशव से सीख हमें लेनी होगी !!
धर्मं ध्वजा हम लहरायेंगे स्वाभिमान के अंचल में  !
जय हिंदुत्व-जय भारत कहके पुलकित होंगे जग भर में !!

भारत माता की जय ! वन्दे मातरम !








परन्तु दुर्भाग्य से हमारे अपने भारत वासियों की कुत्सित लालच-स्वार्थों के कारण सरकार-नेता तुष्टिकरण के द्वारा भारत धर्मं-भारत राष्ट्र विरोधी शक्तियों को बढ़ावा देकर सच्चे राष्ट्रभक्तों-वीर-बलिदानी सेवकों का अपमान कर भ्रष्टाचार रूपी गर्त में देश को धकेल रहे  है .. 
भाषा-क्षेत्र-जाति-संप्रदाय में महान आर्य समुदाय को बाँट कर आपस में लड़ाया जा रहा है ! 
एक न होने देकर विधर्मी-बिध्वंसकारी आतंकी  शक्तियों को पुष्ट किया जा रहा है ! 
मित्रो, हमें आवश्यकता है एकता की सम्पूर्ण हिन्दू समाज की परमश्रेय दाई एकता की ..
जिसके छत्र-छाया में हम सहज ही राष्ट्र को एक अच्छी चारित्रिक -राष्ट्र-धर्म सेवी सरकार प्रदान कर अपनी एवं राष्ट्र की उन्नति करें ! 
जय हिंद !!

Friday, July 29, 2011

आदर्श भारत


हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !


हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!


एक सैनिक मित्र के सन्देश हम रात को जागते हें देश की रक्षा के लिए 


जो अत्यंत ही श्रेष्ठ एवं भारत व भारत वासियों की सेवा में है को पढ़ मैने उस सैनिक मित्र को लिखा -


हम प्रति-पल जागते हें धर्मं-राष्ट्र -समाज एवं आत्म सुधार -उद्धार- रक्षा-उन्नति के लिए 

जय-जय सियाराम जी !


राधे-राधे-श्याम !

श्री हरी !


नमः पार्वती पत्ये हर-हर महादेव 

हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !


हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!



मित्रो यहाँ मेंने आत्म का विशेष रूप से उल्लेख किया है क्योंकि जब तक हम स्वयं में नहीं सुधार करेंगे तव तक दूसरों से सुधार की अपेक्षा कैसे ?
तथा सुधार किसी भी उन्नति के लिए परमावश्यक है , चाहे वहां राष्ट्र-समाज-धर्म-व्यक्तिगत कोई भी हो ,,
हमें समय-समय पर समय के सापेक्ष परिवतन की परमावश्यकता है ,, जिन समाज-राष्ट्र-धर्म एवं व्यक्ति में सुधार एवं सुधारकों की कमी है वे प्राय गतिहीन-मूल्यहीन मृतक समान हैं !
सौभाग्य से मेरा महान भारत देश-संस्कृति एवं सनातन धर्म जन कल्याण हेतु सुधारों के लिए सदैव तत्पर हैं 
यहाँ संख्या बढ़ने की जेहाद-क्रुसेड या अन्य कोई संवेदन हीन स्वार्थ युक्त आतुरता नहीं यहाँ सदैव सर्वश्रेष्ठ जन-कल्याण कारी राम-राज्य की अभिलाषा है ,, यहाँ मुरली मनोहर भगवान श्री कृष्ण की मधुर-शांति युक्त मुरली आस्वादन की  प्रार्थनाएं हैं ! हमारी महान संस्कृति-विरासत "सर्वे भवन्तु सुखिनः" की सच्ची एवं मानवतावादी से भी ऊपर चराचर के कल्याण हेतु हमें शिक्षित कर हमें जीवन लाभ की दिशा सुझाती है !
अतः मित्रो वर्तमान में अबिलम्ब ६० बर्ष पुराने संविधान को यथा योग्य संशोधित कर देश एवं देशवासियों को सच्चे लाभ देने चाहिए ! एक भाषा (राष्ट्र भाषा संस्कृत) , एक कानून (धर्म के नाम पर कोई दूसरा कानून न रख कर सच्ची धर्म निरपेक्षता तथा एक देश एक कानून के अंतर्गत सम्पूर्ण भारत राष्ट्र में एक नियम-संबिधान रख सच्ची राष्ट्र निष्ठां .. वर्तमान में कश्मीर में दूसरा संविधान भी लागू होता है जो राष्ट्र निष्ठां पर कुठाराघात है  ), राष्ट्र धर्म ( सनातन धर्म के विना इस भारत राष्ट्र की पहचान सदैव ही अधूरी है ),एवं भ्रष्टाचार निवारण के लिए अमेरिकेन संविधान सदृश राष्ट्रपति चुनाव एवं अधिकार के साथ-साथ कोई और अन्य सर्व सम्मत योजना ! जैसे उपाय कर देश को शशक्त-सम्माननीय बनाना ही होगा - इसी प्रकार धार्मिक एवं अध्यात्मिक सेवा कार्यों से निज स्वार्थ-व्यापार को लोगों को ठगने की योजना वद्ध ठगी को  रोकने हेतु भी बहुत से उपाय धार्मिक-अध्यात्मिक संत-भक्त-आचार्यों के सुझावों से करने ही होंगे !मुझे विश्वास है की उपरोक्त राष्ट्र एवं धर्म के सेवा सुधारों से सभी राष्ट्र वासियों को मिलने वाले अवसरों की संख्या में वृद्धि होगी फल स्वरुप सभी देशवासी  स्व सुधार कर उन्नति प्राप्त कर धर्मं -समाज एवं राष्ट्र की उन्नति करेंगे !

जय हिंद !! जय भारत !!

Thursday, July 28, 2011

सेवक स्वामी सखा सिय पी के ! हित निरुपधि सब विधि तुलसी के !!


  • lord Rama has said someone who is my devotee but insulting lord Shiva (saying dummy god )to lord shiva ... 
  • lord Rama never like to look for him... 
  • so how is such person called him/her self a devotee of lord Krishna/Rama ...?
  • lord Shiva is the top most vaishnava ... 
  • as it- "vaishnavanam yatha shambhuh "
  • without Shiva worship how can be a Vaishnava?

शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं  भावा !!




जय श्री राधेश्याम -
जय श्री सीताराम -
जय-जय श्री गौरीशंकर भगवान -
जय-जय श्री लक्ष्मीनारायण जी !!
परस्पर दोऊ चकोर दोऊ चंदा !!

गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज भगवान शंकर एवं भगवान राम के आपस में सम्बन्ध पर 
विश्व कल्याणकारी परम आदरणीय श्री भगवदभक्ति प्रदायक सुर-नर-मुनि- सेवित वेद-शास्त्र-पूरण-ग्रन्थ सम्मत श्री मद रामचरितमानस में लिख रहे हैं !
सेवक स्वामी सखा सिय पी के !  हित निरुपधि सब विधि तुलसी के !!
अर्थात भगवान शंकर - भगवान श्री राम के सेवक (दास) -स्वामी (इष्ट) -सखा (मित्र) हैं ! जोकि सहज ही मेरे (श्री तुलसी दास जी के ) एवं सभी भक्तों के सभी प्रकार  के हित साधक -कल्याण करने वाले हैं !
इसी प्रकार माता सती को भगवान विश्वनाथ प्रभु श्री राम जी के परिचय में कहते हैं !
सोई मम इष्ट देव रघुवीरा ! सेवत जाहि सदा मुनि धीरा !!
अर्थात - श्री रघुवीर (राम जी) मेरे (भगवान शंकर के ) इष्टदेव हैं जिन्हें सभी ऋषि-मुनि -संत-भक्त भी अपने इष्टदेव मानते हैं (श्री राम नाम-श्री राम चरित-श्री राम धाम का सेवन करते हैं )
भगवान श्री राम के दशरथ सुत के रूप में जन्मने पर सभी कहते हैं की "कोऊ नहीं इन्ह सम शिव आराधे "
अर्थात श्री दशरथ जी को श्री राम जी पुत्र रूप में भगवान शंकर के आशीर्वाद-कृपा से ही मिले हैं !
इसी प्रकार माता सीता जी भी श्री राम जी को पति रूप में प्राप्त करने हेतु जग-जननी माता अम्बिका की पूजा करा मनोरथ मांगती हैं ! और माता भवानी के आशीर्वाद श्री राम प्राप्ति का  मिलने पर प्रफुल्लित हो जाती हैं !
यथा-"सुन सिय सत्य असीस हमारी ! पूजहिं मनकामना तुम्हारी !!"
इसी प्रकार भगवान श्री हरी भक्त नारद जी को भगवान शंकर का सुझाव न मानने पर ( कि नारद जी आपनी जो कम विजय गाथा मुझे सुना रहे हो कभी श्री हरी के सम्मुख चर्चा होने पर भी न गाना ! को न मानकर अपने को श्री हरी का अनन्य भक्त मान अपनी विजय गाथा श्री हरी को सुनना तथा साथ-साथ यह भी बताना देखलो  शंकर जी मुझे आपको न बताने की कह रहे थे  ! पर मैने आपको बोल दिया क्योंकि आप ही मेरे अपने  हो ) नारद मोह प्रसंग में , नारद जी को पाप मुक्ति हेतु शंकर जी की आराधना को बोलते हैं ! 
"जाहु जपहु शंकर शत नामा " तथा बोलते हैं -

शिव द्रोही मम दास कहावा !  सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं   भावा !!

Wednesday, July 27, 2011

छद्म धर्मं निरपेक्षता

केरल में विधायक, संसद और

मंत्री अल्लाह,यीशु के नाम

से सपथ लेते है | अगर हिंदू राम

या कृष्ण के नाम से ले

तो संबिधान के खिलाफ है ?


अरबी भाषा को प्रमोट करने के

लिए सरकार पैसे खर्च कर रही है

| लेकिन संस्कृत पर

क्यों नही ? क्या अरबी भाषा,

संस्कृत के तुलना में अधिक

राष्ट्रीय है ?

IMTD Act क़ानूनी अधिकार से

असम में

बंगलादेशियो को भारत में

बसने और नागरिक बनने

का अधिकार देता है |

तो जम्मू और कश्मीर में शेष

भारतीय को बसने का अशिकर

क्यों नही ? यह

दोगली निति क्या है ?

जम्मू और कश्मीर

कि जनसंख्या लगभग एक करोड है

जिन्हें २४००० करोड रुपये

कि सहायता दी गयी है |

यानी कि पर हेड २४००० रुपये |

जबकि शेष राज्यों को इनसे

५% कम कि सहायता दी जाती है

|क्या यह राष्ट्र

विरोशियो के लिए इनाम

नही है ?

यदि पेंटिंग करना गैर-

इस्लामिक है

तो मुसलमानों ने एम् एफ हुसैन

के खिलाफ कितने फतवे

जारी किये गए थे ?

क्या वो गैर- इस्लामिक कार्य

नही किया था ?

यदि इस्लाम में गायन, संगीत

और नृत्य गैर- इस्लामिक है

( क्योकि इस्लाम एक गंभीर

धर्म है ) तो बहुत “खान” फिल्म

में अभिनय करते है | इनके

खिलाफ

फतवा क्यों नही जारी किया गया ?

क्या आप को लगता है कि भारत

एक धर्मनिरपेक्ष और

लोकतांत्रिक देश

रहेगा यदि मुसलमानों का बहुमत

हो जाय तो ?

हॉउस आफ कामंस,

आस्ट्रेलिया संसद और ह्वाईट

हॉउस आदि में जब दीपावली और

जन्माष्टमी मनाया जाता है

तो भारत के संसद में

क्यों नही मनाया जाता है ?

क्या हम संयुक्त राष्ट्र,

अमेरिका, ब्रिटेन और

आस्ट्रेलिया कि तुलना में

अधिक धर्मनिरपेक्ष है ?

यदि सांप्रदायिक दंगे भारत

में आर एस एस, विहिप, बजरंग दल

आदि के कारन होता है तो “

पाकिस्तान, तुर्की,

अफगानिस्तान, इंडोनेशिया,

चेचन्या, चीन, रूस, ब्रिटेन,

स्पेन, साईप्रस आदि में

किसकी अजह से दंगे होते है ?”

जब कि वहाँ पर आर एस एस /

विहिप नही है |

एक पूर्व राष्ट्रपति, दो पूर्व

प्रधानमंत्रियों, साधुओ,और

संतो द्वारा कांची के

संकराचार्य कि गिरफ्तारी के

खिलाफ प्रदर्शन किया है |

लेकिन मिडिया का कहना है

कि “वहाँ बिलकुल कोई विरोध

नही हुआ है”| क्या आप

को लगता है कि केवल

हिन्=हिंसा ही लोगो की [पीड़ा मापने

का पैमाना है ?

क्या आप को विश्वास है

कि इस्लाम और ईसाईयत

को सर्वधर्म समभाव में

विश्वास है ? यदि हाँ, तो धर्म

रूपांतरण में विश्वास

क्यों करते है ?

ईश्वर अल्लाह तेरे नाम – आप

मुझे एक मुसलमान दिखाए

जो इससे सहमत हो ?

क्या आप को नही लगता है कि “

सेक्युलर मुस्लिम एक

मिथ्या नाम है ? एक

व्यक्ति या तो सेक्युलर

या मुसलमान हो सकता है,

दोनों नही ? एक मुस्लिम

( जो केवल अल्लाह में
विश्वास करता है) धर्म-

निरपेक्ष(कई परमेश्वर में

विश्वास) नही हो सकता है |

क्या आप जानते है कि “

तथाकथित धर्मनिरपेक्ष

मौलाना वहीदुद्दीन, जब

भारतीय सैनिक कारगिल में

लड़ रहे थे तो, उनसे सैनिको के

लिए प्रार्थना करने

को कहा गया तो इंकार कर

दिया ? क्योकि भारतीय

सैनिक मुसलमानों से लड़ रहे

थे ?” ( बाद में सोनिया और

प्रियंका ने उसके अंतिम

संस्कार में भाग ली थी )

संयुक्त राष्ट्र चार्टर

का कहना है कि “ अल्पसंख्यक

का मतलब

पूरी आबादी का अधिक से

अधिक १०% होता है | मुसलमान,

जो लगाभाग १८% से ऊपर है

को एक अल्पसंख्यक कैसे

कहा जा सकता है ?

क्या आप को विश्वास है

कि “कम्युनिस्टों को भारत

से प्यार है ?”, जब कि वे

स्वीकार करने से मना करते है

कि १९६२ में चीन भारत पर

हमलावर था ?

ये कैसे होता है कि “ एक

मुस्लिम परिवार मुख्य रूप से

हिंदू इलाके में शांति से

रहता है, जबकि एक मुस्लिम

बस्ती में एक हिंदू परिवार

ऐसा करने में सक्षम नही है ?

मुस्लिम बहुत क्षेत्रो में

ईसाई मिशिनारिज

क्यों नही सामाजिक सेवाए

शुरू कराती है ?

क्योकि वहाँ निवेश पर

पर्याप्त फल नहीं मिलेगा |

क्या आप जानते है कि “ भारत

एक मात्र देश है जो खुले तौर

पर बंगलादेश के

घुसपैठियों को आमंत्रित

किया है | बिहार, उत्तर प्रदेश

और पश्चिम बंगाल के

सरकारों ने तत्काल उन्हें

रासन कार्ड उपलब्ध कराके

मतदाता बना दिया |”

दंगे शुक्रवार की नमाज के बाद

ही ज्यादातर हुए है ( जैसे मरद,

केरल) | क्या यह इमामों के

ज्वलंत उपदेशो की वजह से

नही है ?

सभी हिंदू बहुल क्षेत्र

शांतिपूर्ण है, लेकिन

सभी हिंदू अल्पसंख्यक

क्षेत्र समस्याग्रस्त है –

जम्मू और कश्मीर, उत्तर –

पूर्वी भारत आदि | क्या आप

इसकी व्याख्या कर सकते है

कि ऐसा क्यों ?

एक विधायक, सी. पी. शाजी ने

केरल विधानसभा में कहा कि “

वो हाथ काट दिया जायेगा,

जो शरियत के एक अक्षर

को छुयेगा” | क्या आप इससे

सहमत है ?

क्या आप जानते है कि “भारत

में अवैध रूप से आये मुस्लिम

अप्रवाशी २५ लोकसभा और १२०

विधानसभा सीटों के चुनाव

में एक निर्णायक कारक बन गए

है ? और वे एक विशेष पार्टी के

लिए एकजुट हो के मतदान करते

है – कंग्रस, राजद, सपा, एमएल,

या साम्यवादी |”

एक पाकिस्तानी भारतीय

हो सकता है ? जब वह जम्मू और

कश्मीर के किसी एक लडकी से

शादी कर ले, लेकिन इसके

विपरीत जब वही लड़की भारत के

किसी भी हिस्से के एक हिंदू

से शादी करे तो वह जम्मू और

कश्मीर की नागरिक

नहीं हो सकते है, जम्मू और

कश्मीर

कि नागरिकाता खो देती है ?

यह किस तरह का कानून है ?

अयोध्या मामले में, सुप्रीम

कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद

पूछताछ की लेकिन

बाबरी मस्जिद एक्शन

कमेटी या आल इंडिया मुस्लिम

पर्सनल ला बोर्ड से सवाल

नही की? क्या यह सुप्रीम
कोर्ट का दुहरा मापदंड
नही है ?
जब आप नरेन्द्र मोदी जैसे
लोगो से तुच्छ आधार पर
मुख्यमंत्री पद से
इस्तीफा मांग रहे है तो आप
क्यों नही जम्मू और कश्मीर
के मुख्यमंत्री से
इस्तीफा माँगते है ? जहां पर
हजारों सैनिक
आतंकवादियों द्वारा मार दिए
गए है और तो और ४ लाख
हिन्दुओ का सफाया कर
दिया गया है |
जम्मू और कश्मीर का पूर्व
मुख्यमंत्री फारुख
अब्दुल्ला एक ईसाई से
शादी किया और वर्तमान
मुख्यमंत्री उमर
अब्दुल्ला एक हिंदू लडकी से
शादी करके आनंदित थे, लेकिन
जब उसकी बेटी एक हिंदू लड़के
से शादी कर
ली तो उसका परित्याग कर
दिया गया |
क्या यही धर्मनिरपेक्षता का पहचान
है ?
कानून के अनुसार “ मानव
अंगों को किसी भी पार्टी के
चुनाव चिन्ह के रूप में
नही लिया जा सकता है”
तो कैसे कांग्रेस
पार्टी को ‘हाथ’ का प्रतिक
आवंटित किया गया है ? यह
कानून के खिलाफ नही है ?
दिल्ली इमाम सैयद बुखारी के
घोषणा थी कि तालिबान
सभी मुसलमानों के लिए आदर्श
है और ओसामा बिन लादेन
नायक ? क्या आप इस
धर्मनिरपेक्षता पर विचार
करेंगे ?
जम्मू और कश्मीर के संसदीय
चुनाव के लिए २ लाख हिंदू
वयस्क मतदाता है | लेकिन
विधानसभा के लिए नही ?
क्यों ?
जम्मू और कश्मीर
विधानसभा की अवधि ६ साल और
अन्य राज्यों की ५ साल|
क्यों ?
बंगलादेश में हिंदू
लड़किया पीटी जाती है, उनके
साथ गैंग रैप किया जाता है |
प्रतिदिन मंदिरों को जलने
या नष्ट करने कि खबरे पढैते
होंगे | क्या हमारे
धर्मनिरपेक्षतावादी और
मानवाधिकारी कार्यकर्ताओ
को इनके लिए आवाज़
नही उठानी चाहिए ?
क्या सिर्फ मुसलमानों के
लिए ही मानवाधिकार है ?
क्या आप जानते है कि “
इस्लाम राष्ट्रवाद और
राष्ट्रिय सीमाओ में
विश्वास नही करता है | यह
पूरी दुनिया को इस्लाम के
तहत दारुल हरब से दारुल इस्लाम
तक लाना चाहते है ?”
क्यों मुस्लिम मस्जिद और
मदरसे में जाते है न कि स्कूल
और कालेज में ?
क्या मदरसा भी वैज्ञानिक
और इंजिनियर तैयार करता है ?
( सेक्युलर नेताओ
द्वारा मुसलमानों को अलग से
आरक्षण के लिए अपना सर पिटने
के सन्दर्भ में )
मुहर्रम जुलूस हिंदू बाहुल्य
क्षेत्रो से लाया जारहा है
लेकिन हिंदू धार्मिक जुलूस
मुस्लिम इलाको से
अनुमति नही है क्यों ?
क्या यह सम्रदायिक बटवारे
को स्थायी नही करता है ?
क्या आपको लगता है कि नेहरू
परिवार ही एक परिवार है
जो आजादी के लिए लड़े
या अन्य
स्वतंत्रता सेनानियों क
भी थे? जैसे भगत सिंह,
चंद्रशेखर आजाद, मदनलाल
धींगरा ,वन्शिनाथान, चापेकर
ब्रदर्स, वीर सावरकर, राज गुरु,
सुभाष चंद्र बोस, उधम सिंह
आदि |
मल्लापुरम ( केरल) में , एक
डाक्टर ने पाया कि मुस्लिम
महिलाओ कि तीन
पीढियां बेटी-१३, माँ-२६ और
दादी – ३९ सभी गर्भवती है
तथा प्रसव के लिए
भारती कराया | क्या आप
को भी लगता है
कि मुसलमानों के लिए परिवार
नियोजन अनावश्यक है ?
रामायण के लेखक
ऋषि वाल्मीकि एक डाकू थे,
उसी तरह महाभारत के लेखक वेड
व्यास एक मछुवारे थे |
दोनों महाकाव्यो और लेखक
हिन्दुओ द्वारा प्रतिष्ठित
है | क्या अब भी लगता है
कि हिंदू धर्म जातिवाद
का समर्थन करता है ?
२००२ में कर्नाटक सरकार
मंदिरों द्वारा प्राप्त ७२
करोड रुपयों में से ५० करोड
मदरसों को, १० करोड चर्च को,
१० करोड
मंदिरों को दिया गया |
मदरसो (आतंकवादी कारखाना )
और चर्चो के विकास के लिए
हिन्दुओ
का पैसा क्या देना चाहिए ?
जब अफगानिस्तान में
तालिबान, बुद्ध
प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया,
तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने
लिखा है कि यह
बाबरी मस्जिदके विध्वंस
की प्रतिक्रिया में था.
क्या आप टाइम्स ऑफ
इंडिया द्वारा के इस औचित्य
से सहमत? जैसे को तैसा के लिए
ठीक है? तो फिर तुम
क्यों गोधरा कांड
की प्रतिक्रिया में गुजरात
दंगों की आलोचना करते हो ?
पांडिचेरी में एक मुस्लिम
को दफनाने से इनकार कर
दिया गया था क्योंकि वह
प्रभु मुरुगा के लिए एक मंदिर
का निर्माण
किया था क्या आप
को भी लगता है कि "धर्म एक
दूसरे से नफरत नहीं सिखाते
हैं"?
१९८९ में कांग्रेस के
चुनावी घोषणापत्र में राजीव
गाँधी ने घोषणा की कि “ अगर
मिजोरम में कांग्रेस
सत्ता में आई तो यहाँ बाईबल
के अधर पर शिक्षाए
दी जायेगी (?)” यदि यह
सांप्रदायिक नही है
तो क्या है ?
वर्ल्ड मुस्लिम अल्पसंख्य
समुदाय के अध्यक्ष, कुवैत के
शेख अल सईद युसूफ सयेद हासिम
रिफाई को केरल में
बिना वीजा के आने
कि अनुमति दी गयी थी और
उन्हें गिर्गिराफ्तर
नही किया गया बल्कि केरल
सर्कार के सरकारी दामाद
की तरह खातिरदारी कि गयी और
लेजाने लाने के लिए
सरकारी कार
कि व्यवस्था कि गयी थी |
क्या यह राष्ट्रवाद
को बढ़ावा देने वाला कार्य
है ?
यदि ब्रिटेन और अमेरिका( एक
धर्म निरपेक्ष देश) में एक से
अधिक महिला से शादी करने
कि अनुमति नही है
तो क्या भारत में एक से अधिक
औरतो से शादी करने
कि अनुमति देनी चाहिए ?
पोप को भारत
कि यात्रा को आमंत्रित
किया गया था लेकिन नेपाल के
राजा महेंद्र को नागपुर में
१९६५ में
मकरसंक्रांति समारोह में
भाग लेने के लिए
अनुमति नही दी गयी थी |
क्या यही धर्म
निरपेक्षता है ?
अशोक और कनिष्क
अफगानिस्तान पर शासन किया.
कंधारी जो की दुर्योधन
की माँ, कंधार से आया है ( अब
अफगानिस्तान में )| क्या आप
मानते हैं कि अफगानिस्तान
एकबार भारत का अभिन्न
हिस्सा था?
त्रिपुरा में बैप्टिस्ट चर्च
को न्यूजीलैंड से 60 साल
पहले
मिशनरियों द्वारा स्थापित
किया गया था|
क्या आपको लगता है कि चर्च
राष्ट्रवाद को बढ़ावा देंगे?
पाकिस्तान में
छात्रों को शुरू से
ही सिखाया जाता है कि हिंदु
हमारे दुश्मन हैं, हिंदू से
मित्रता कभी नहीं किया जा सकता है
काफिरो (हिंदुओं) को मार
देना चाहिए. क्या आप को अब
भी लगता है
कि दोस्ती पाकिस्तान के
साथ संभव है?
पाकिस्तान इस्लामी देश
है,बायीं-पास सर्जरी या कैंसर
के इलाज के लिए भारत आते है |
पाकिस्तान कैसा एक देश है
जिसके पास परमाणु विकशित
करने की क्षमता है लेकिन एक
अच्छे अस्पताल कि नही ?
इसका मतलब है
कि पाकिस्तानी सिर्फ
ट्रिगर से खुश है विकास और
स्वास्थ्य सीवाओ की कीमत
पर |
कम्युनिस्ट नेता स्टालिन
की बेटी, स्वेतलाना, दिनेश
सिंह के भाई से शादी करने के
लिए और भारत में बसने
की कामना की| हमारे
साम्यवादियों और
इंदिरा गांधी ने इस का विरोध
किया | वे अब कैसे एक
इतालवी महिला का समर्थन
करे ?
जब योगा संयुक्त राज्य
अमेरिका में एक करोड़ों डॉलर
का उद्योग है, हमारी सरकार
क्यों अंधी बन गयी है इस
तकनीक मानवविकास के लिए ?
क्या इसलिए कि यह हिंदू
संस्कृति का एक हिस्सा है ?
पूजा में 'संकल्प' "भारत
वर्षे , भारत कंडे......... के साथ
शुरू होता है ...". ये क्या हैं?
क्या आप को अभी भी लगता है
कि अध्यात्मवाद और
राष्ट्रवाद अलग कर रहे हैं ? ये
राष्ट्र की दो आंखें है?
अध्यात्मवाद और राष्ट्रवाद
भारत में अविभाज्य
हैं.क्या आपको नहीं लगता कि अध्यात्मवाद
के बिना भारत बिना आत्मा के
एक शरीर की तरह हो जाएगा?
हिंदू धर्म में आप
को सुधारको कि संख्या बहुत
मिल जायेगी | अन्य धर्मो में
क्यों नही पाई जाती है ?
क्या इन्हें सुधारने कि जरुरत
नही है कि सुधारे हुए है ?
 
 
 
 
 
 
 
साभार हिन्दू वाहिनी ग्रुप ऑफ़ फेसबुक