sweetie radhika radhey-radhey

Tuesday, June 28, 2011

कृष्णं वन्दे जगद गुरुम !



जय-जय  श्री राधेश्याम  !!
जय-जय श्री सीताराम !!
सभी मित्रों-भक्तों-संतों एवं आचार्यों को मेरा यथा योग्य सादर प्रणाम-नमस्ते !
बहुत सा चिंतन-मनन-स्वाध्याय एवं समकालीन घटनाक्रम पर दृष्टिपात करते हुए मेरे मनो-मस्तिष्क में प्रस्तुत विचार कई दिनों से आरहे हैं कि कैसे मेरे महान सनातन धर्म एवं संस्कृति का उद्धार हो-एकता हो ?, कैसे मेरे महान भारत राष्ट्र की उन्नति हो ? , कैसे मेरे देशवासी सम्पन्न-सुखी एवं अभय हों ?
मैंने इस हेतु ऑरकुट पर विगत एक बर्ष से बहुत लिखा है ! विभिन्न कम्युनिटीयाँ -जय हिंदुत्व - जय भारत , 
जय श्री राधे, रामचरितमानस ,श्री बाँके बिहारी लाल आदि एवं ब्लॉग हिंदुत्व,राधे-राधे ,mycountry -my wishes ,रामचरितमानस ,हरेकृष्ण ,वन्दौ ब्रज बसुन्धरा आदि पर निज धर्मं-संस्कृति एवं राष्ट्र सेवा में लिख रही हूँ !
विगत कुछ माह से मैंने facebook पर भी प्रोफाइल प्रारंभ कर लिखना आरम्भ किया है ! यहाँ कई नोट ,पेज एवं इवेंट संचालित किये हैं ! जैसा कि आपने अनुभव किया होगा मेरा social -networking का  एक मात्र  उद्देश्य अपने धर्मं-संस्कृति-राष्ट्र की गुणता बखान करना एवं इनके चरमोत्कर्ष की अभिलाषा करना है ! इस यात्रा में मुझे अनेकों अनुभव हुए , बहुत सी जानकारियाँ प्राप्त हुयीं ! मैंने पाया अधिकांश जन-मानस धर्मं-राष्ट्र के प्रति समर्पित-जागरुक  है परन्तु साथ ही साथ कुछ भ्रमित भी ! इसी भ्रम के निवारणार्थ मेरा ह्रदय मुझे लिखने के लिए प्रेरित कर रहा है कि किस प्रकार हम समूचे सनातनी-भारतीय अपनी खोयी आभा को प्राप्त कर स्वाभिमानी बनें ! जो आज कल कहीं नहीं दिखता पाश्च्यात चका-चोंध में भारतीय स्वाभिमान सूखाग्रस्त हो मुरझा कर बिष को अमृत-जीवन आश समझ पगला गया है ! आइये कुछ सोपान तय करें कि कैसे हम पुनः जगदगुरु की गरिमामयी छवि को प्राप्त करे !

 - (प्रथम - सोपान) -
साथियों ,, मुझे आश्चर्य हुआ जब मुझे अनेकों लोगों ने लिखा कि हिन्दू कोई धर्म नहीं ,, बहुतेरे हिन्दू शब्द आयातित बता रहे थे ! मेरा उनसे निवेदन है कि महान सनातन धर्मं ही हिन्दू धर्मं है ,, हिन्दू आयातित नहीं शुद्ध वैदिक-पौराणिक शब्द है (गीता प्रेस गोरखपुर का हिन्दू अंक देखें वहां अनेकों विद्वानों के अनेकों लेख इस दिशा में आपको प्राप्त होंगे ) और यदि यह आयातित भी है तो आज हमारी विश्व में पहचान है ! जब आप भारत को इण्डिया बोल सकते हैं तो सनातन को हिन्दू बोलने में क्या आपत्ति !
(द्वितीय  -सोपान ) ---  बहुतेरे लोगों ने लिखा वे हिन्दू नहीं हैं वैष्णव है आश्चर्य हुआ कि हिन्दू से वैष्णव धर्म कब अलग हुआ ! मेरे कहने पर कि हिन्दू धर्म-दर्शन  की एक शाखा  वैष्णव धर्म-दर्शन है तो वे बिगड़ गए बोले हमारे गुरुओं ने तुम्हारा ये पुराना खोखला झूंठ सिद्ध कर दिया है कि भगवान विष्णु का अवतार भगवान कृष्ण हैं जबकि भगवान कृष्ण ने ही विष्णु अवतार लिया है ! मेने उनसे कहा भैया कब मैंने भगवान के अवतार की बात की तो वे और भड़क गए  बोले सनातन -हिन्दू कोई धर्मं नहीं केवल भगवान कृष्ण ही भगवान हैं शेष डेमी गोड हैं ! मेने उनसे कहा क्यों धर्मं का नाश करने पर तुले हो ? क्यों संप्रदाय बाद के नाटक में महान सत्य को बादल बन ढक रहे हो ? ,, क्यों इस महान संस्कृति के सूर्य को राहु सदृश डसने को आतुर हो ?
उसके बाद उनको मेने मित्र सूचि से निकल दिया तव वे मुझे मेसेज कर कहने लगे की में अपने झूंठ से उनके सत्य के सामने डर गयी हूँ इसलिए उन्हें रिमूव किया ,,
हार कर उनकी राक्षसी वाणी को न सुनने के मन के कारण उन्हें ब्लोक कर उनकी वीभत्स सोच से राहत पाई ! 
( तृतीय-सोपान ) ----  मैंने इवेंट जय हिंदुत्व -जय भारत पर लिखा था कि महान हिन्दू धर्मं की बौद्ध-जैन-आर्य समाज -सिख इत्यादि संतानें हैं ! जिसका स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो धर्म-सम्मलेन में उल्लेख किया था ""मैं उस धर्मं का प्रतिनिधित्व करता हूँ जो विश्व के महान बौद्ध धर्म की माँ है "" पर एक कथित हिन्दू आकर वहस छेडने लगा की बौद्ध-जैन ये अलग धर्मं हैं क्योंकि विचार-धारा हिन्दू धर्मं से भिन्न है और वह बुद्ध का बहुत आदर करता है ! 
मैंने उसे बोला भगवान रिषभ देव(जैन धर्मं के संस्थापक) भगवान बुद्ध(बौद्ध धर्मं के संस्थापक)  श्री मद भागवत एवं अन्य पुराणों के आधार पर भगवान विष्णु के ही अवतार हैं ! 
तो वह हठधर्मिता दर्शा इसे झूंठ करार देने लगा ! 
मैंने उसे बोला कि बौद्ध दर्शन की हीनयान शाखा  बुद्ध को भी भगवान नहीं मानती परन्तु महायान शाखा बुद्ध को भगवान मानती है यहाँ भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है तव  वो सज्जन अकड़ दिखाने लगा मनुबाद कह कोसने लगा फल-स्वरुप ब्लोक करना पड़ा !
(चतुर्थ-सोपान)-----  ऑरकुट-फेसबुक सभी जगह भगवान के सुन्दर-सुन्दर चित्र लगा बड़ी-बड़ी कविता-गीत    लिख भक्ति प्रदर्शित करने वालों  ने इवेंट जय हिंदुत्व -जय भारत  पर रंच   मात्र भी रूचि   नहीं दर्शाई ! मुझे लगता है ये अपने को भक्त मान इस दीन-दुनिया से परे समझते होंगे (वैसे ये लड़कियों से खूव चुटकले आदान-प्रदान करते रहते हैं ) मेरा इनसे कहना है कि विनु हिंदुत्व के अन्य किसी कथित धर्मं में ये ऐसे भजन कर पाएंगे ! हिंदुत्व का सशक्त होना भी भजन-भक्ति करने के लिए परमावश्यक है !
एक सज्जन मुझे आकर वोलने लगे क्यों मैं आग झोंक रही हूँ इवेंट के रूप में -कृपया मुझे बताएं कोई अपने स्वजनों को उनके पूर्वजों की विरासत समझाये तो क्या यह आग है ?? मैंने अब तक किसी अन्य कथित धर्मं का तो नाम नहीं लिया न ?? किसी जेहाद या क्रुसेड के लिए तो लोगों को भड़काया नहीं ??फिर कैसी आग ?? वो व्यक्ति मुझे बोला की वह सब धर्मों का है तो मुझे इससे क्या उसके माता-पिता को फर्क पड़ेगा की उनका बेटा सर्व धर्मों का है अब उनके देहावसान पर उन्हें चिता देगा या कब्र ,, उनकी अस्थियों को गंगा ले जायगा या काबा ,, वो कथित सर्व धर्मी किसी और धर्मं के अनुयायी से अपनी बहन-बेटी का विवाह करना चाहेगा क्या ??
अंतकाल में गंगा जल की जगह काबा या येरुशलम का पानी अपने मुंह में डलबायेगा क्या ?  
मुझे पता है कोई भी अपने धर्म को नहीं छोड़ता ,, क्षुद्र स्वार्थ वश प्रचार करते हैं केवल !
भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में सुझाया है ""स्वधर्मे निधनं श्रेयः पर धर्मो भयावह ""
 (पंचम-सोपान)----एक दिन बहुत से व्यक्ति पूछने आये क्यों कर भगवान श्री कृष्ण के साथ श्री राधा रानी की श्री विग्रह मंदिर में होती हैं ,, माता रुकमनी की क्यों नहीं ,, उन लोगों ने भगवान एवं माता न लिख सीधे नाम लिख डाले तिस पर मुझे अत्यंत रोष हुआ मैंने उन्हें आदर से भगवद नाम लेने को बोला !!
कृपया भगवान के नाम-धाम-लीला दिव्य हैं , कृपा कारी हैं ! इनकी गरिमा बनाये रखें ,, इनके साथ किसी भी प्रकार की मुर्खता-छेड़ छड असह्य है  !
(षष्ठ-सोपान)------   मित्रो इन सब बातों पर  मैं बहुत से नोटों में लिख चुकी हूँ आगे भी लिखती रहूंगी -
आप फेसबुक ,ऑरकुट ,ब्लॉगर इत्यादि पर सम्बंधित सामिग्री प्राप्त कर सकते हैं --
यहाँ मेरा आज का लेख अपने महान धर्मं-राष्ट्र एवं संस्कृति की उन्नति के साधनों पर चर्चा करना है -
१--राष्ट्र की उन्नति केवल एक उपाय से ही संभव है , इसे धार्मिक बना दिया जाय ! हिन्दू भारत स्वयं ही सर्वोन्नती कर  सकने में सक्षम है ! हिंदुत्व भारत राष्ट्र  की आत्मा है ,, आज बिना हिंदुत्व के भारत पंगु सदृश है !
२- महान हिन्दू धर्मं की रक्षा-सेवा में भी केवल एक मात्र उपाय पर्याप्त है कि सभी लौकिक गुरुओं-धार्मिक प्रवक्ताओं-संस्था-ट्रस्टों की पूजा बंद कर इनकी अकूत सम्पदा जब्त कर निर्धन हिन्दू मात्र के कल्याण में लगा दिया जाय ! संयोग से निकट ही श्री व्यास पूर्णिमा का शुभ पर्व आने वाला है ! जिस दिन गुरु पूजा की जाती है !
संयोग से आज के समय कोई भी प्राणी गुरु कहलवाने /पूजा कराने के योग्य नहीं है ,, केवल पूर्व संत-भक्तों-महा पुरुषों में से  निज रूचि के अनुसार किसी भी को  गुरुदेव मान  कर पूजा करें ! आप श्री चैतन्य महाप्रभु या नित्या नन्द महाप्रभु जी या कोई भी षड गोस्वामी जन से या भक्ति सिद्धांत  सरस्वती पाद से या प्रभु पाद जी से दीक्षा ले सकते हैं ! आप गोस्वामी संत श्री तुलसी दास जी को भी अपना गुरु स्वीकार सकते हैं या आप श्री वल्लभाचार्य जी श्री विठठल जी या कोई भी अष्ट छाप संत-भक्त से या भक्ति मति मीरा बाई जी से सीधे दीक्षा ले धन्य हो सकते हैं !यही सर्वोत्तम है ! 
लौकिक गुरु की विभिन्न कमियों पर दृष्टि पात होने पर ,, उसकी कमियां स्वयं में आ जातीं हैं ! 
और आजकल ठग एवं चालक लोग मंच से वैठ  चेला-चेली बनाने का अभियान चलते हैं ! जो सरासर गलत है ! पतन की ओर ले जाने वाला है ! प्रातः स्मरणीय ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुख दास जी महाराज ऐसे ही संतों में से एक थे जो न तो अपनो कोई फोटो खिंचवाते या पुजवाते थे ! न ही अपने नाम से आगे परम श्रद्धेय जैसे संबोधन लगवाते-लिखवाते थे ! स्वामीजी अपने चरण स्पर्श भी नहीं कराते थे ! संगीत धुनों पर प्रवचन में माता-वहनों से नाच भी नहीं नचवाते थे ! स्वामी जी ने किसी को भी अपना चेली-चेला नहीं बनाया ! स्वामी जी आश्रम-मठ बनाने के भी खिलाफ रहे उन्होंने जीवन में कोई भी आश्रम-मठ-कुटिया नहीं बनायीं ! स्वामी जी दान भी नहीं लेते थे ! विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित गीता-दर्पण पढ़िए ! आप स्वामीजी द्वारा लिखित एक छोटी सी पुस्तक मूल्य अधिकतम ५/-रु. होगा   ""क्या गुरु बिन मुक्ति नहीं"" अवश्य पढ़ें  ये आपकी गुरु विषयक सभी जिज्ञासाओं को शांत कर देगी !
आजकल के गुरु सिष्य अंधे-बहरे के समान हैं  - जैसा श्री रामचरितमानस में वर्णित है !
गुरु-सिस अंध बधिर कर लेखा ! एक न सुनहिं एक नहीं पेखा !!
लोभी गुरु लालची चेला-होय नरक में ठेलम ठेला !!
अतः कृपया लौकिक गुरु नहीं बनायें ये तथाकथित गुरु संप्रदाय बाद-निज मतबाद आदि के भ्रम फैला धर्म को हानी  पहुंचाते हैं ! 
ये पर उपदेश कुशल बहुतेरे ! जे आचरहिं ते नर न घनेरे 
के अनुसार हैं  !   
इनको गुरु बनाना नरक में सीट पक्की करना है ! इनको या इनके किसी उपक्रम को दान देना शुद्ध ठगी है ! इनकी पूजा कर प्रसादी लेना साक्षात् नरक है !
ये एयर कंडीशन कमरों-गाड़ियों-पंडालों में रहने वाले क्या भक्ति-ज्ञान करेंगे ! इनके कुनवे मूर्खों की मुर्खता से बिनु  क्रिया-कर्म राजशी ठाठ भोगते हैं !
ध्यान रहे कभी दान करना भी हो तो बिना किसी तीसरे प्राणी के स्वयं के निरिक्षण में किसी विद्यालय-देवालय-चिकित्सालय-अनाथालय-ब्रिद्धालय या गौ शाला में जाकर दान करें -दान के मद में कार्य करा खर्च करें ! इससे आपका दान यथार्थ होगा ,प्रभावी फलदायी होगा !
ये मंद बुद्धि कथित गुरु नए-नए पागल पंथी ठगी संप्रदाय बना भोले-भले जन मानस को लुटते/शोषण करते हैं !
३- भारतीय जनता/जन-मानश का लाभ केवल एकता में है ! जहाँ जाति-पंथ वर्ण भाषा या स्थानीय कोई  भी भेद-भाव न हो सब हिन्दू हों -सब भारतीय हों ! ""संघे शक्ति कलियुगे"" ये आदर्श महत सन्देश सदैव स्मृत रहे !
(सप्तम - सोपान )----  याद रखें ''हतो एव हन्ति-धर्मो रक्षति रक्षितः'' धर्मं की रक्षा करने पर धर्म हमें रक्षक छत्र प्रदान करता है ! जबकि नष्ट करने पर धर्म समूल नष्ट कर देता है ! अतः हमारा परम कर्तव्य एवं लाभ है सभी प्रकार से निज धर्म-निज राष्ट्र एवं निज संस्कृति की सेवा करें !  
एक और कथित वैष्णव परिवार मुझे मेरी प्रोफाइल पर मेरा फोटो न होने पर मिथ्यामार्गी आदि बोलने लगे ,, मैंने उन्हे समझाया किसी के भी लिए अपनी निजता facebook  पर भंग करना चूक होता है ! 
आपके स्वयं के फोटो से कभी भी कोई भी आपकी हास्यास्पद स्थिति बना सकता है !!
उसे उसकी वैष्णवता का दर्पण दिखा मैंने उससे बाय-बाय किया !! 
आप भगवान श्री कृष्ण -भगवान श्री राम या भगवान श्री शंकर  को भी सीधे गुरु मान सकते है ! 
कृपया ध्यान दें गुरु बनाये नहीं माने (स्वीकारे) जाते हैं !
पाखंडी को गुरु मानने पर लोक व परलोक दोनों बिगड़ जाते हैं !
अतः अच्छा है किसी पूर्व के संत -भक्त को गुरु मानें या सीधे भगवान को गुरु मान लें !
हनुमान जी भक्ति-ज्ञान मार्ग पर सर्व श्रेष्ठ गुरु हैं !
कृष्णं वन्दे जगद गुरुम !
जय हिंदुत्व  -जय भारत     
नमः पार्वती पत्ये हर-हर महादेव   
उपरोक्त आलेख  मैंने भगवान श्री राम के भक्ति प्रदायी महाकाव्य श्री रामचरितमानस के आधार पर सप्तम सोपान में बिभाजित किया है ! मेरी कामना है की भक्तबांछा कल्पतरु भगवान श्री रघुनन्दन अजिर बिहारी भगवान श्री राम मुझ पर अपनी अपरिमित -अहैतुकी कृपा आशीर्वाद बनाये रखें !!

Saturday, June 18, 2011

JAI HINDUTWA-JAI BHARAT - A TRUE AND ESSENTIAL KNOWLEDGE


FRIENDS THIS NOTE IS A DISCUSSION ON WRITING MY STATUS
""JAI HINDUTWA-JAI BHARAT""
MANY PEOPLE ARE ASKING ME ABOUT VARIOUS POINTS-
AT HERE YOU WILL GET MY ALL REPLIES ON ALL OF THOSE QUERIES !
SURPRISE MANY PERSON WHO ARE SAYING THAT THEY ARE VAISHNAV OR THEY ARE IN LORD KRISHNA'S DEVOTION ARE COMMENTING HINDUTWA AND VAISHNAV ARE DIFFERENT RELIGION ,,,
WHEN I WAS SUGGESTED THEM VAISHNAV SAMPRADAY IS THE MOST RESPECTABLE -POPULAR AND ESSENTIAL BRANCH OF GREAT HINDUTWA THEN THEY START FIGHTING THEIR VIEW IS VAISHNAV-DHARMA IS THE SENIOR AND DIFFERENT DHARMA TO HINDUTWA -
I THINK THEY HAVE NOT RIGHT KNOWLEDGE - THEY ARE SUPPER SILLY -THEIR GURUS NEEDED A TEACHING FOR THEM
MY REQUEST TO LORD KRISHNA PLEASE PROVIDE A TRUE GYAN FOR THEM !!
JAY-JAY SHRI RADHEY SHYAM-


@[100001762624573:Sweetie Radhika Gautam]

BELIEVE THIS IS TRUE -
IF YOU ARE SINGING BELOW YOU WILL WIN OVER ALL FEAR !!
jo vole so abhay satya-sanatan dharma ki jay !!
jai hindutwa-jai bharat
25 minutes ago · Like · · Unsubscribe
Sweetie Radhika Gautam
i am hindu and believe we all hindu have a unity in group/culture -HINDUTWA --even we are from vaishnav, shaiv, shakt, buddhism, jain or sikh panth ..
22 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
hindu dharma and satya sanatan dharma is same .. as hindustan and bharat rashtra .. there is no founder for saty-sanatan dharma this is the dharma-deity of lord krishna .. as lord krishna is suggesting us in shri mad bhagavad geeta .. and vaishnav dharma is the branch of this great satya-sanatan tree .. as maharshi ved vyas requesting in shri mad bhagavat maha puran (first skandha first shloka ) satyam param dhimahi ... and in vedas we get more about satya-dharma ..
18 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
unfortunately people are dividing this great hindutwa in matamataantar (sampraday baad )
and fighting on casts
16 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
we needed a unity for serving our great sanatan dharma
15 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
unity is sangh in hindi ... and sanghe shakti kaliyuge !!
13 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
pratah smaraniya respected dr. keshavdev hedagewar ji had suggested us a seva group name rashtriy swayam sevak sangh (RSS) ... this is the best platform for HINDUTWA ....
12 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
RSS is serving for great hindutwa and great nation from its born many times RSS has proved his value in the service of great hindutwa and great bharat raashtra !!
9 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
according the lord rama's great poetry-song shri mad ramacharit maanas GO DWIJ SANT DEV HITKAARI ! KRIPA SINDHU MAANUSH TANU DHAARI !! for saving cows-brahmanas(people) --sant(devotees)-and dewas ( bharat nation-whole earth-rivers-mountains-forests-atmosphere ) our lord rama appear on earth as a human ... jai siyaram
3 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
paritranaay sadhunam vinaashay cha dushkritam ! dharma sansthapnarthay sambhavami yuge-yuge !! this is the lord krishna promise to arjuna for serving sanatan dharma and sanskriti .
. jay shree krishna !!
about a minute ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
SO DHARMA SEVA IS TOO ESSENTIAL FOR ANY PERSON (either he is devotee of lord krishna or lord rama or lord shiva or lord vishnu or lord ganesha or maan kaali )BECAUSE OUR GOD APPEAR ON EARTH FOR SAVING-serving SATY-SANATAN DHARMA !!
9 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
people who is dividing this satya-sanatan sanskriti in various pantha are working like a terrorist whose aim is only destroying our great religion and culture ..
6 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
vaishnava or shaiv or shakt or sikh or arya samaji or jain or buddhisth and hindutwa are not two .. you can say vaishnav or any from above sampraday are the flower of great hindutwa tree(kalp-briksha)
3 minutes ago · Like
Sweetie Radhika Gautam
so my request for all hindus please go for a unity it is most needy in this time (kaliyuga) ...
and say in one sound jai hindutwa-jai bharat
a few seconds ago · Like
SO that if SOMEONE DIFFERENCES BETWEEN LORD VISHNU AND LORD SHIVA IS SILLY
ACCORDING THE RAMACHARIT MAANAS LORD RAMA IS TELLING - IF SOMEONE IS INSULTING -SAYING DUMMY GOD TO LORD SHIVA ,, LORD RAMA NEVER LIKE TO LOOK HIM (THAT PERSON)
""SHIV DROHI MAM DAAS KAHAVA ! SO NAR MOHI SAPANEHU NAHIN BHAVA !!""
AND SUCH - A PERSON WHO IS LISTENING SUCH INSULT FOR LORD SHIVA AND LORD VISHNU IS SAME SIN OF COW KILLING
""HARI-HAR NINDA SUNAHIN JE KAANA ! HOI PAP GO GHAT SAMANA !!""
THE WRITER OF SHRI MAD RAMACHARIT MAANAS SANT GOSWAMI SHRI TULASI DAS JI MAHARAJ IS EXPRESSING RELATION BETWEEN LORD RAMA AND LORD SHIVA - THAT LORD SHIVA IS THE SERVANT-MASTER-FRIEND OF LORD RAMA SO YOU CAN GUESS BOTH ARE ONE -
""SEVAK SWAMI SAKHA SIY PI KE ! HIT NIRUPADHI SAB VIDHI TULASI KE !!""
OUR GREAT VEDAS ALSO BLESSING - ""EKO BRAHMA DWITIYO NAASTI "" MEANING GOD IS ONE ,,, BUT ON HIS LOVING DEVOTEES FEELINGS HE MAKE MANY SWARUP AS- ""JAAKI RAHI BHAWANA JAISI ! PRABHU MURATI DEKHI TIN TAISI "!!
so please take an oath for jai hindutwa-jai bharat- (ekonvinshah sankalpa )-
1.we shall never divided our great hindutwa in various panth-sampraday and matamatantar
 2.we all hindus work for our unity .. we shall forget our internal misunderstanding and come out in a unity-power for vidharmi-millitants 
3.we shall never divide our great nation bharat rashtra on the language (bhasha)-region or any other issue 
4.our all four cast are respectable .. belongs to lord krishna as he suggested in shri mad bhagavad geeta ""chatur varnayam maya srishtam - gun karm vibhagasah "" 
4.our great religion satya-sanatan dharma is only religion in world who is taking for truth remaining dharma is not a dharma because they are only going for a lie-
5.for us  jai bharat is the jai u.p.,, is the jai gujrat,, is the jai maharashtra,, is the jai bihar,, is the jai punjab,, or jay any other place/state  
6. saving and serving cows is the order of lord krishna to us 
7.harinam smaran is our motto-our love for lord krishna 
8.cleaning river ganga-yamuna and other rivers is our duty 
9.saving forest and hills is too our duty 
10.shri mad bhagavad geeta is the bhagavad aagya for us 
11.vande maataram is our unity sound -our honour for our nation 
12.saving braj dham-avadh puri-shri kashi puri and other riligious/historical  places is our duty and sankalpa
13. hindutwa is our proud.. our wish for a hindu-bharat
14-sarve bhavantu sukhinah is our prayers for lord krishna 
15.vasudhaiv kutumbam is our great wish
16.siyaram may sab jag jaani ! karahun pranaam jori jug paani !! is our view for all living and non living world
(our god is in everybody as a sole )
17.shri mad ramacharit maanas and shri mad bhagavat maha puran is our best nidhi (wealth)
18.our great philosophy is the supreme in world so we are jagadguru in the world
19.saving and serving our great religion and culture HINDUTWA and great nation BHARAT RASHTRA is our most important object .
JAI SIYARAM
HAR-HAR MAHADEV
JAI GAU MATA
JAI SATYA SANATAN DHARMA
JAI BHARAT MAATA
JAI SHRI KRISHNA
JAI-JAI SHRI RADHEYYYYYYYY

*it is confirm noone can get lord shri radhey krishna's divine increadible love without honouring saty-sanatan dharma
and culture 
*lord krishna suggested in shri mad bhagavad geeta that even lord krishna is supreme personality (god) but for people he ovey rules and moral of saty-sanatan religion and culture his motto in this only that people always follow his hero so if lord krishna is respecting satya-sanatan dharma and culture then people will too respecting this great bhagavad swarup dharma -
*in krishna's sweet song shri mad bhagavatam maharshi veda vyasa is also indicating for this in first unit(skandha) first shloka ..""satyam param dhimahi "" at here veda vyasa ji is recognising lord krishna as satya-sanatan dharma
*in lord rama's great song ramacharit maanas , writer of this holy book goswami sant shri tulasidas ji maharaj is also expressing - ""dharma na dusar satya samana "" there is not other dharma as satya-sanatan dharma
""ram satya sankalp prabhu"" lord rama is the satya-sanatan dharma
** so dear friends my request to you .. please learn about this great religion and culture  and dont divided it by
sampraday or cast or language or region basis ... this is a dharma and culture for which saving and serving god appear on earth whenever needed .... radhey-radhey














satyam param dhimahi
satyamev jayate
jo bole so abhay-saty sanatan dharma ki jay
जय हिंदुत्व -जय भारत 

Saturday, June 4, 2011

फेसबुक पर इवेंट जय हिंदुत्व-जय भारत


जय श्रीराधे ! 
मित्रो , इवेंट जय हिंदुत्व-जय भारत पर रेसपोंस देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !
निश्चित ही इवेंट पेजेस पर हम सबकी सम्मिलित आवाज, सनातन धर्मं एवं संस्कृति का वरदायी सन्देश "सर्वे भवन्तु सुखिनः"  के द्वारा समस्त चराचर को सुख-शांति  प्रदत्त कर ,, परम मंगलकारी अभिलाषा "बसुधैव कुटुम्बम " के अंचल में ...विनाशकारी आतंकबाद,शत्रुता,राग-द्वेष,छल एवं दंभ को समूल नष्ट कर ..
जन-जन में भगवान श्रीकृष्ण कृपा स्वरुप -भारत सन्देश श्रीमद भगवदगीता को प्रचारित कर इस मातृस्वरुप 
परम कल्याणकारी वसुंधरा को सुशोभित करेगी  ! 
हमारी विश्वजई ध्वनि हुँकार  सत्य-सनातन  विरोधियों जिनकी मंशा-कुकृत्य भारत राष्ट्र-भारत धर्मं  को आघात देने की रहती है  ,के कलुषित हृदयों को विदीर्ण कर उन सबका मान-मर्दन कर इस धरा से वहिष्कृत करने में सक्षम  है ! अतः मित्रो , मुझे विश्वास है कि आप सब इवेंट पेजेस पर एक बार जयकारा घोष लगायेंगे-(कम से कम एक बार जय हिंदुत्व -जय भारत अवश्य लिख अपनी सम्मति प्रदान करेंगे )
मित्रो ,आप धर्म सेवा -राष्ट्र सेवा में प्रस्तुत सन्देश को कॉपी-पेष्ट कर अपने सभी मित्रों-परिचितों को पोस्ट करेंगे ...मैं "स्वीट राधिका राधे-राधे" आपको भरोसा देती हूँ कि यह कार्य-सेवा ( पोस्ट करना ) आपको  भगवान श्रीकृष्ण की अहैतुकी -अपरम्पार कृपा भक्ति प्रदान करेगा !! आप माँ भारती का वात्सल्य स्नेह प्राप्त कर सत्य की ओर आरुढ़ित होंगे !   
राधे-राधे श्याम 
जय सीताराम 
पार्वती पत्ये हर-हर महादेव !! 
जो बोले सो विजय-सनातन धर्मं की जय !! 
विश्व का कल्याण हो!! 
गौमाता की जय !!
अधर्म का नाश हो !!
पापियों का संहार हो !!  
मित्रो, आप भी निम्नांकित लिंक के द्वारा ..वरदाम-सुखदाम इवेंट जय हिंदुत्वा-जय भारत से जुड़कर अपने परिचित-मित्रों को इवेंट में भाग लेने को कह सकते हैं !
अंत में मेरी (स्वीट राधिका राधे-राधे  की )आप सबसे विनम्र निवेदन है कि  -परम कल्याण सोपान-भक्ति प्रदायी-मंगल मूर्ति-आनंद राशि -पाप नाशक -कलि ताप निवारक (इस इन्टरनेट रूपी घन -घोर कलियुग पर अनंत फलदायी ) आश्रित वांछा कल्पतरु श्रीहरि नाम सुधामृत का गान करते हुए न्यूनतम एक बार  हरिनाम महामंत्र अवश्य लिखें -सभी मित्रों को पोस्ट कर लिखने का आग्रह करें -

श्री प्रियालाल रस सेवी आदरणीय  भक्तजन -आइये 
श्री किशोरीजू-श्रीकृष्ण कांता -श्रीकृष्ण प्रिया- श्री ब्रषभानु दुलारी -श्री वृन्दावनेश्वरी -श्री राधिका जी के पावन-आह्लाद बर्षी-भक्त मन मधुकर मधुर पराग रस रूपी युगल चरणारविंदों  में प्राथना-चित्त समर्पित करते हुए -
गाते-गाते लिखें-
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे !
हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
जय-जय श्री राधे श्याम !!