sweetie radhika radhey-radhey

Tuesday, June 28, 2011

कृष्णं वन्दे जगद गुरुम !



जय-जय  श्री राधेश्याम  !!
जय-जय श्री सीताराम !!
सभी मित्रों-भक्तों-संतों एवं आचार्यों को मेरा यथा योग्य सादर प्रणाम-नमस्ते !
बहुत सा चिंतन-मनन-स्वाध्याय एवं समकालीन घटनाक्रम पर दृष्टिपात करते हुए मेरे मनो-मस्तिष्क में प्रस्तुत विचार कई दिनों से आरहे हैं कि कैसे मेरे महान सनातन धर्म एवं संस्कृति का उद्धार हो-एकता हो ?, कैसे मेरे महान भारत राष्ट्र की उन्नति हो ? , कैसे मेरे देशवासी सम्पन्न-सुखी एवं अभय हों ?
मैंने इस हेतु ऑरकुट पर विगत एक बर्ष से बहुत लिखा है ! विभिन्न कम्युनिटीयाँ -जय हिंदुत्व - जय भारत , 
जय श्री राधे, रामचरितमानस ,श्री बाँके बिहारी लाल आदि एवं ब्लॉग हिंदुत्व,राधे-राधे ,mycountry -my wishes ,रामचरितमानस ,हरेकृष्ण ,वन्दौ ब्रज बसुन्धरा आदि पर निज धर्मं-संस्कृति एवं राष्ट्र सेवा में लिख रही हूँ !
विगत कुछ माह से मैंने facebook पर भी प्रोफाइल प्रारंभ कर लिखना आरम्भ किया है ! यहाँ कई नोट ,पेज एवं इवेंट संचालित किये हैं ! जैसा कि आपने अनुभव किया होगा मेरा social -networking का  एक मात्र  उद्देश्य अपने धर्मं-संस्कृति-राष्ट्र की गुणता बखान करना एवं इनके चरमोत्कर्ष की अभिलाषा करना है ! इस यात्रा में मुझे अनेकों अनुभव हुए , बहुत सी जानकारियाँ प्राप्त हुयीं ! मैंने पाया अधिकांश जन-मानस धर्मं-राष्ट्र के प्रति समर्पित-जागरुक  है परन्तु साथ ही साथ कुछ भ्रमित भी ! इसी भ्रम के निवारणार्थ मेरा ह्रदय मुझे लिखने के लिए प्रेरित कर रहा है कि किस प्रकार हम समूचे सनातनी-भारतीय अपनी खोयी आभा को प्राप्त कर स्वाभिमानी बनें ! जो आज कल कहीं नहीं दिखता पाश्च्यात चका-चोंध में भारतीय स्वाभिमान सूखाग्रस्त हो मुरझा कर बिष को अमृत-जीवन आश समझ पगला गया है ! आइये कुछ सोपान तय करें कि कैसे हम पुनः जगदगुरु की गरिमामयी छवि को प्राप्त करे !

 - (प्रथम - सोपान) -
साथियों ,, मुझे आश्चर्य हुआ जब मुझे अनेकों लोगों ने लिखा कि हिन्दू कोई धर्म नहीं ,, बहुतेरे हिन्दू शब्द आयातित बता रहे थे ! मेरा उनसे निवेदन है कि महान सनातन धर्मं ही हिन्दू धर्मं है ,, हिन्दू आयातित नहीं शुद्ध वैदिक-पौराणिक शब्द है (गीता प्रेस गोरखपुर का हिन्दू अंक देखें वहां अनेकों विद्वानों के अनेकों लेख इस दिशा में आपको प्राप्त होंगे ) और यदि यह आयातित भी है तो आज हमारी विश्व में पहचान है ! जब आप भारत को इण्डिया बोल सकते हैं तो सनातन को हिन्दू बोलने में क्या आपत्ति !
(द्वितीय  -सोपान ) ---  बहुतेरे लोगों ने लिखा वे हिन्दू नहीं हैं वैष्णव है आश्चर्य हुआ कि हिन्दू से वैष्णव धर्म कब अलग हुआ ! मेरे कहने पर कि हिन्दू धर्म-दर्शन  की एक शाखा  वैष्णव धर्म-दर्शन है तो वे बिगड़ गए बोले हमारे गुरुओं ने तुम्हारा ये पुराना खोखला झूंठ सिद्ध कर दिया है कि भगवान विष्णु का अवतार भगवान कृष्ण हैं जबकि भगवान कृष्ण ने ही विष्णु अवतार लिया है ! मेने उनसे कहा भैया कब मैंने भगवान के अवतार की बात की तो वे और भड़क गए  बोले सनातन -हिन्दू कोई धर्मं नहीं केवल भगवान कृष्ण ही भगवान हैं शेष डेमी गोड हैं ! मेने उनसे कहा क्यों धर्मं का नाश करने पर तुले हो ? क्यों संप्रदाय बाद के नाटक में महान सत्य को बादल बन ढक रहे हो ? ,, क्यों इस महान संस्कृति के सूर्य को राहु सदृश डसने को आतुर हो ?
उसके बाद उनको मेने मित्र सूचि से निकल दिया तव वे मुझे मेसेज कर कहने लगे की में अपने झूंठ से उनके सत्य के सामने डर गयी हूँ इसलिए उन्हें रिमूव किया ,,
हार कर उनकी राक्षसी वाणी को न सुनने के मन के कारण उन्हें ब्लोक कर उनकी वीभत्स सोच से राहत पाई ! 
( तृतीय-सोपान ) ----  मैंने इवेंट जय हिंदुत्व -जय भारत पर लिखा था कि महान हिन्दू धर्मं की बौद्ध-जैन-आर्य समाज -सिख इत्यादि संतानें हैं ! जिसका स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो धर्म-सम्मलेन में उल्लेख किया था ""मैं उस धर्मं का प्रतिनिधित्व करता हूँ जो विश्व के महान बौद्ध धर्म की माँ है "" पर एक कथित हिन्दू आकर वहस छेडने लगा की बौद्ध-जैन ये अलग धर्मं हैं क्योंकि विचार-धारा हिन्दू धर्मं से भिन्न है और वह बुद्ध का बहुत आदर करता है ! 
मैंने उसे बोला भगवान रिषभ देव(जैन धर्मं के संस्थापक) भगवान बुद्ध(बौद्ध धर्मं के संस्थापक)  श्री मद भागवत एवं अन्य पुराणों के आधार पर भगवान विष्णु के ही अवतार हैं ! 
तो वह हठधर्मिता दर्शा इसे झूंठ करार देने लगा ! 
मैंने उसे बोला कि बौद्ध दर्शन की हीनयान शाखा  बुद्ध को भी भगवान नहीं मानती परन्तु महायान शाखा बुद्ध को भगवान मानती है यहाँ भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है तव  वो सज्जन अकड़ दिखाने लगा मनुबाद कह कोसने लगा फल-स्वरुप ब्लोक करना पड़ा !
(चतुर्थ-सोपान)-----  ऑरकुट-फेसबुक सभी जगह भगवान के सुन्दर-सुन्दर चित्र लगा बड़ी-बड़ी कविता-गीत    लिख भक्ति प्रदर्शित करने वालों  ने इवेंट जय हिंदुत्व -जय भारत  पर रंच   मात्र भी रूचि   नहीं दर्शाई ! मुझे लगता है ये अपने को भक्त मान इस दीन-दुनिया से परे समझते होंगे (वैसे ये लड़कियों से खूव चुटकले आदान-प्रदान करते रहते हैं ) मेरा इनसे कहना है कि विनु हिंदुत्व के अन्य किसी कथित धर्मं में ये ऐसे भजन कर पाएंगे ! हिंदुत्व का सशक्त होना भी भजन-भक्ति करने के लिए परमावश्यक है !
एक सज्जन मुझे आकर वोलने लगे क्यों मैं आग झोंक रही हूँ इवेंट के रूप में -कृपया मुझे बताएं कोई अपने स्वजनों को उनके पूर्वजों की विरासत समझाये तो क्या यह आग है ?? मैंने अब तक किसी अन्य कथित धर्मं का तो नाम नहीं लिया न ?? किसी जेहाद या क्रुसेड के लिए तो लोगों को भड़काया नहीं ??फिर कैसी आग ?? वो व्यक्ति मुझे बोला की वह सब धर्मों का है तो मुझे इससे क्या उसके माता-पिता को फर्क पड़ेगा की उनका बेटा सर्व धर्मों का है अब उनके देहावसान पर उन्हें चिता देगा या कब्र ,, उनकी अस्थियों को गंगा ले जायगा या काबा ,, वो कथित सर्व धर्मी किसी और धर्मं के अनुयायी से अपनी बहन-बेटी का विवाह करना चाहेगा क्या ??
अंतकाल में गंगा जल की जगह काबा या येरुशलम का पानी अपने मुंह में डलबायेगा क्या ?  
मुझे पता है कोई भी अपने धर्म को नहीं छोड़ता ,, क्षुद्र स्वार्थ वश प्रचार करते हैं केवल !
भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में सुझाया है ""स्वधर्मे निधनं श्रेयः पर धर्मो भयावह ""
 (पंचम-सोपान)----एक दिन बहुत से व्यक्ति पूछने आये क्यों कर भगवान श्री कृष्ण के साथ श्री राधा रानी की श्री विग्रह मंदिर में होती हैं ,, माता रुकमनी की क्यों नहीं ,, उन लोगों ने भगवान एवं माता न लिख सीधे नाम लिख डाले तिस पर मुझे अत्यंत रोष हुआ मैंने उन्हें आदर से भगवद नाम लेने को बोला !!
कृपया भगवान के नाम-धाम-लीला दिव्य हैं , कृपा कारी हैं ! इनकी गरिमा बनाये रखें ,, इनके साथ किसी भी प्रकार की मुर्खता-छेड़ छड असह्य है  !
(षष्ठ-सोपान)------   मित्रो इन सब बातों पर  मैं बहुत से नोटों में लिख चुकी हूँ आगे भी लिखती रहूंगी -
आप फेसबुक ,ऑरकुट ,ब्लॉगर इत्यादि पर सम्बंधित सामिग्री प्राप्त कर सकते हैं --
यहाँ मेरा आज का लेख अपने महान धर्मं-राष्ट्र एवं संस्कृति की उन्नति के साधनों पर चर्चा करना है -
१--राष्ट्र की उन्नति केवल एक उपाय से ही संभव है , इसे धार्मिक बना दिया जाय ! हिन्दू भारत स्वयं ही सर्वोन्नती कर  सकने में सक्षम है ! हिंदुत्व भारत राष्ट्र  की आत्मा है ,, आज बिना हिंदुत्व के भारत पंगु सदृश है !
२- महान हिन्दू धर्मं की रक्षा-सेवा में भी केवल एक मात्र उपाय पर्याप्त है कि सभी लौकिक गुरुओं-धार्मिक प्रवक्ताओं-संस्था-ट्रस्टों की पूजा बंद कर इनकी अकूत सम्पदा जब्त कर निर्धन हिन्दू मात्र के कल्याण में लगा दिया जाय ! संयोग से निकट ही श्री व्यास पूर्णिमा का शुभ पर्व आने वाला है ! जिस दिन गुरु पूजा की जाती है !
संयोग से आज के समय कोई भी प्राणी गुरु कहलवाने /पूजा कराने के योग्य नहीं है ,, केवल पूर्व संत-भक्तों-महा पुरुषों में से  निज रूचि के अनुसार किसी भी को  गुरुदेव मान  कर पूजा करें ! आप श्री चैतन्य महाप्रभु या नित्या नन्द महाप्रभु जी या कोई भी षड गोस्वामी जन से या भक्ति सिद्धांत  सरस्वती पाद से या प्रभु पाद जी से दीक्षा ले सकते हैं ! आप गोस्वामी संत श्री तुलसी दास जी को भी अपना गुरु स्वीकार सकते हैं या आप श्री वल्लभाचार्य जी श्री विठठल जी या कोई भी अष्ट छाप संत-भक्त से या भक्ति मति मीरा बाई जी से सीधे दीक्षा ले धन्य हो सकते हैं !यही सर्वोत्तम है ! 
लौकिक गुरु की विभिन्न कमियों पर दृष्टि पात होने पर ,, उसकी कमियां स्वयं में आ जातीं हैं ! 
और आजकल ठग एवं चालक लोग मंच से वैठ  चेला-चेली बनाने का अभियान चलते हैं ! जो सरासर गलत है ! पतन की ओर ले जाने वाला है ! प्रातः स्मरणीय ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुख दास जी महाराज ऐसे ही संतों में से एक थे जो न तो अपनो कोई फोटो खिंचवाते या पुजवाते थे ! न ही अपने नाम से आगे परम श्रद्धेय जैसे संबोधन लगवाते-लिखवाते थे ! स्वामीजी अपने चरण स्पर्श भी नहीं कराते थे ! संगीत धुनों पर प्रवचन में माता-वहनों से नाच भी नहीं नचवाते थे ! स्वामी जी ने किसी को भी अपना चेली-चेला नहीं बनाया ! स्वामी जी आश्रम-मठ बनाने के भी खिलाफ रहे उन्होंने जीवन में कोई भी आश्रम-मठ-कुटिया नहीं बनायीं ! स्वामी जी दान भी नहीं लेते थे ! विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित गीता-दर्पण पढ़िए ! आप स्वामीजी द्वारा लिखित एक छोटी सी पुस्तक मूल्य अधिकतम ५/-रु. होगा   ""क्या गुरु बिन मुक्ति नहीं"" अवश्य पढ़ें  ये आपकी गुरु विषयक सभी जिज्ञासाओं को शांत कर देगी !
आजकल के गुरु सिष्य अंधे-बहरे के समान हैं  - जैसा श्री रामचरितमानस में वर्णित है !
गुरु-सिस अंध बधिर कर लेखा ! एक न सुनहिं एक नहीं पेखा !!
लोभी गुरु लालची चेला-होय नरक में ठेलम ठेला !!
अतः कृपया लौकिक गुरु नहीं बनायें ये तथाकथित गुरु संप्रदाय बाद-निज मतबाद आदि के भ्रम फैला धर्म को हानी  पहुंचाते हैं ! 
ये पर उपदेश कुशल बहुतेरे ! जे आचरहिं ते नर न घनेरे 
के अनुसार हैं  !   
इनको गुरु बनाना नरक में सीट पक्की करना है ! इनको या इनके किसी उपक्रम को दान देना शुद्ध ठगी है ! इनकी पूजा कर प्रसादी लेना साक्षात् नरक है !
ये एयर कंडीशन कमरों-गाड़ियों-पंडालों में रहने वाले क्या भक्ति-ज्ञान करेंगे ! इनके कुनवे मूर्खों की मुर्खता से बिनु  क्रिया-कर्म राजशी ठाठ भोगते हैं !
ध्यान रहे कभी दान करना भी हो तो बिना किसी तीसरे प्राणी के स्वयं के निरिक्षण में किसी विद्यालय-देवालय-चिकित्सालय-अनाथालय-ब्रिद्धालय या गौ शाला में जाकर दान करें -दान के मद में कार्य करा खर्च करें ! इससे आपका दान यथार्थ होगा ,प्रभावी फलदायी होगा !
ये मंद बुद्धि कथित गुरु नए-नए पागल पंथी ठगी संप्रदाय बना भोले-भले जन मानस को लुटते/शोषण करते हैं !
३- भारतीय जनता/जन-मानश का लाभ केवल एकता में है ! जहाँ जाति-पंथ वर्ण भाषा या स्थानीय कोई  भी भेद-भाव न हो सब हिन्दू हों -सब भारतीय हों ! ""संघे शक्ति कलियुगे"" ये आदर्श महत सन्देश सदैव स्मृत रहे !
(सप्तम - सोपान )----  याद रखें ''हतो एव हन्ति-धर्मो रक्षति रक्षितः'' धर्मं की रक्षा करने पर धर्म हमें रक्षक छत्र प्रदान करता है ! जबकि नष्ट करने पर धर्म समूल नष्ट कर देता है ! अतः हमारा परम कर्तव्य एवं लाभ है सभी प्रकार से निज धर्म-निज राष्ट्र एवं निज संस्कृति की सेवा करें !  
एक और कथित वैष्णव परिवार मुझे मेरी प्रोफाइल पर मेरा फोटो न होने पर मिथ्यामार्गी आदि बोलने लगे ,, मैंने उन्हे समझाया किसी के भी लिए अपनी निजता facebook  पर भंग करना चूक होता है ! 
आपके स्वयं के फोटो से कभी भी कोई भी आपकी हास्यास्पद स्थिति बना सकता है !!
उसे उसकी वैष्णवता का दर्पण दिखा मैंने उससे बाय-बाय किया !! 
आप भगवान श्री कृष्ण -भगवान श्री राम या भगवान श्री शंकर  को भी सीधे गुरु मान सकते है ! 
कृपया ध्यान दें गुरु बनाये नहीं माने (स्वीकारे) जाते हैं !
पाखंडी को गुरु मानने पर लोक व परलोक दोनों बिगड़ जाते हैं !
अतः अच्छा है किसी पूर्व के संत -भक्त को गुरु मानें या सीधे भगवान को गुरु मान लें !
हनुमान जी भक्ति-ज्ञान मार्ग पर सर्व श्रेष्ठ गुरु हैं !
कृष्णं वन्दे जगद गुरुम !
जय हिंदुत्व  -जय भारत     
नमः पार्वती पत्ये हर-हर महादेव   
उपरोक्त आलेख  मैंने भगवान श्री राम के भक्ति प्रदायी महाकाव्य श्री रामचरितमानस के आधार पर सप्तम सोपान में बिभाजित किया है ! मेरी कामना है की भक्तबांछा कल्पतरु भगवान श्री रघुनन्दन अजिर बिहारी भगवान श्री राम मुझ पर अपनी अपरिमित -अहैतुकी कृपा आशीर्वाद बनाये रखें !!

14 comments:

  1. corrupt politics and cowered indian political leader can not control over terrorism
    need a strong will power for shoot/hang all militants
    देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बुधवार की शाम सीरियल ब्‍लास्‍ट हुआ है.
    मुम्बई में हुआ श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट क्या 26/11 आतंकी हमला मामले में जीविज बचे एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को जन्मदिन का तोहफा था?
    lajja hin kayar netao dub maro chullu bhar pani men

    ReplyDelete
  2. GURU PITU MATU MAHESH BHAVANI ! PRANAVAUN DIN BANDHU DIN DANI !!
    BEST GURU - BHAGAWAN SHRI GAURI SHANKAR JI (JAGAT PITU MATU)
    BEST GURU PUJA - CHANTING HARI NAMAMRITAM AND PAROPAKAR
    PAR HITU SARASI DHARMA NAHIN BHAI ! PAR PIDA SAM NAHIN ADHAMAI !!
    HAREKRISHNA-HAREKRISHNA KRISHNA-KRISHNA HARE-HARE !
    HARERAMA-HARERAMA RAMA-RAMA HARE-HARE !!

    ReplyDelete
  3. SEVAK SWAMI SAKHA SIY PI KE !
    HIT NIRUPADHI SAB BIDHI TULASI KE !!
    NAMAH PARVATI PATYEH HAR-HAR MAHADEV !!!!!!!

    ReplyDelete
  4. hindu word is not a imported word - it is vedic word read ""hindu ank "" of ""kalyan"" geeta press gorakhpur ..
    and IT IS A FACT that people are not interesting for dharma . they are thinking this is not in their target even vidharmi make a policy for hurting hindus and catching benefits from government on the name of secularism .. they are killing -blasting on innocent public (hindus)..
    in manu smriti there is a sutra "" hato ev hanti dharmo rakshati rakshitah "" its mean only dharma can provide you all your need if you are serving for dharma and if someone is hurting dharma surely dharma is the main cause for his destroy ...
    in bhagavad geeta lord krishna is also suggesting ""swa dharme nidhanam shreyah par dharmo bhayavah "" meaning - better is die in self dharma then going to others so its is every bharat people 's duty-
    that saying and working for JAI HINDUTWA-JAI BHARAT

    ReplyDelete
  5. ONE PERSON SAY ME ON TRUE GURU - REAL GURU PUJA EVENT
    YATHA DRISHTI-TATHA SRISHTI
    MAY BE HE IS ALSO IN FAVOR FOR HIS WORSHIP AS A GURU -- HE IS USING ACHARYA IN HIS NAME
    MY REPLY ON THAT
    THIS IS NOT A SUBJECT FOR DRISHTI OR SRISHTI THIS IS FOR SAVING INNOCENT PEOPLE FROM CHEATERS ON THE NAME OF GURU ... YOU CAN READ A SMALL BOOK PUBLISHED FROM GEETA PRESS GORAKHPUR WRITTEN BY BRAHM LIN SHRADHYEY SWAMI RAM SUKH DAS JI MAHARAJ--""KYA GURU BINA MUKTI NAHIN "" I THINK SWAMI WAS A TRUE SANT AND HE NEVER GO FOR MAKING CHELA-CHELI .. HE NEVER ALLOWED FOR WORSHIP HIS PHOTOGRAPH OR USING HIS FOTO ON BIG HORDINGS .. SWAMIJI NEVER ALLOWED FOR TOUCHING HIS FEET ... ABOVE ALL ARE ABOUT GURU BY SWAMIJI AND HIS BOOK .. I AM ONLY EXPRESSING THAT MORAL AT HERE ... JAY SHRI KRISHNA !!!!!!

    ReplyDelete
  6. ONE PERSON SAY ME ON TRUE GURU - REAL GURU PUJA EVENT
    AND ALSO COMMENTING ON MY STATUS
    YATHA DRISHTI-TATHA SRISHTI
    THAT I AM TUCHH BUDDHI SO INSULTING GURU OF BHARAT BARSHA
    HIS LINK NAME Venkatesh Acharya

    MAY BE HE IS ALSO IN FAVOR FOR HIS WORSHIP AS A GURU -- HE IS USING ACHARYA IN HIS NAME
    MY REPLY ON THAT
    Venkatesh Acharya YAHAN KOI TUCHCHHA NAHIN TATHA NA HI SABHI KATHIT GURU JAN SHRESHTH HAIN YAH KEVAL VIBHINN JHUNTHE TITLE LAGA LOGON KO LUTANA HAI .. GRADUATE IN SANSKRIT KI NAHIN NAM MEN SHASTRI AUR ACHARY LIKH UPADESH DEN -
    THIS IS NOT A SUBJECT FOR DRISHTI OR SRISHTI THIS IS FOR SAVING INNOCENT PEOPLE FROM CHEATERS ON THE NAME OF GURU ... YOU CAN READ A SMALL BOOK PUBLISHED FROM GEETA PRESS GORAKHPUR WRITTEN BY BRAHM LIN SHRADHYEY SWAMI RAM SUKH DAS JI MAHARAJ--""KYA GURU BINA MUKTI NAHIN "" I THINK SWAMI WAS A TRUE SANT AND HE NEVER GO FOR MAKING CHELA-CHELI .. HE NEVER ALLOWED FOR WORSHIP HIS PHOTOGRAPH OR USING HIS FOTO ON BIG HORDINGS .. SWAMIJI NEVER ALLOWED FOR TOUCHING HIS FEET ... ABOVE ALL ARE ABOUT GURU BY SWAMIJI AND HIS BOOK .. I AM ONLY EXPRESSING THAT MORAL AT HERE ... JAY SHRI KRISHNA !!!!!!

    ReplyDelete
  7. ashcharya log apane nam ke sath param shraddhey - param pujya - jagad guru ityadi sambodhan laga bade-bade hordings men apani models jaisi foto laga mithe-mithe vachanon se logon ko chela-cheli bana lutate hain ... aur jo log paropakar-dharma-rashtra seva se koson dur rahate hain .. in kathit thag guruon ke jaal men lutate hain ,,,,
    haribol !!!

    ReplyDelete
  8. log apane nam ke sath shastri-acharya -goswami likhate hain unase puchho ki kahan se shastri-aachary upadhi li -kisane di aap goswami kaise endrik gulami men jine par bhi-kanchan -kamini lalasa men dube rahane par bhi kaise goswami .. jay shri radhey !!!!!

    ReplyDelete
  9. par log lutane men prasanna hain va dusaron ko bhi luteron ki bhram maya ko badha chadha kar kah-kah kar lutawane ko praytna rat hain ..jay shri krishna !!!!!

    ReplyDelete
  10. jagad guru keval bhagawan shri krishna bhagawan shankar aur adhya shankarachary -vaishnavachary hain ... jay shri krishna !!!!!!!
    param shraddhey - param pujy keval bhagawan ho sakate hain ... swami ram sukh das ji maharaj ...

    ReplyDelete
  11. sab shriji ki kripa hai ... jaise pavan tanay ko ram kaj tav lagi avatara jambant ji ne evam sampurna shrishti ne kaha hai thik usi prakar shri ram pad pankaj parag nishtha men .. main apane mahan dharma sanskriti rashtra ki seva men likhati rahati hun !!!! harekrishna !!

    ReplyDelete
  12. our great sanatan sanskriti -dharma ihas also such many wishes ""sarvam khalvidam brahma"" ""ishwarah sarv bhutanam "" and also siyaram may sab jag jani ! karahun pranam jori jug pani !!

    ReplyDelete
  13. !! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
    !! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!
    !! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
    !! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!
    !! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
    !! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!
    !! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
    !! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!
    !! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
    !! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!
    !! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
    !! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!

    ReplyDelete