sweetie radhika radhey-radhey

Tuesday, March 1, 2011

महाशिव रात्रि - पार्थना


पार्वती पत्ये: हर-हर महादेव

साथियों, 
आइये हम सब मिलकर महाशिव रात्रि के पावन अवसर पर माता पार्वती एवं करुणावतार आशुतोष भगवान शंकर के चरण-कमलों में चित्त को समर्पित कर संकल्प लें-पार्थना करें -
हे विश्वनाथ ! हे जगत पितु-मातु ! हम मनसा-वाचा-कर्मणा अपनी मातृभूमि अपने सत्य-सनातन धर्मं की रक्षा-सेवा में तत्पर रहें एवं विधर्मियों-हत्यारे-अत्याचारियों का निर्भय हो दमन करें ! हमारा प्रत्येक पग इस महान सभ्यता-संस्कृति एवं विरासत के हित में हो ! हम पुनः अपना गौरवशाली अजिनाभ-खंड (भारत-बर्ष) प्राप्त कर राम-राज्य में रहें ! 
कायर एवं दुष्ट राजनेताओं को महान हिंदुत्व की महान राजनीति सिखा दें ,उनके द्वारा रचे चक्र-व्यूहों को नष्ट कर ,महान हिंदुत्व क्रांति का जग में सन्देश लिख दें ! 
एक और महाभारत के लिए पार्थसारथी , गीताशिक्षक भगवान श्रीकृष्ण के नेतृत्व में शंख-नाद कर 
रण-भेरि बजा ,महा संग्राम-बलिदान के लिए तत्पर रहें ! 
हे महादेव ! हमारी प्रत्येक श्वांस से हर-हर महादेव की विजय ध्वनि नभ में गूंजती चले ,हमारी नेत्र-दृष्टि जिधर-जिधर भी पड़े शत्रु समूह उधर-उधर भस्म होते चलें ! 
हे महाकाल ! हमारी कथनी-करनी शत्रुओं के लिए काल सदृश हो ! 
हे विश्वम्भर ! हम सदैव आपकी कृपा  से बाह्य एवं आतंरिक 
( राग-द्वेष-परपीडन-लोभ-तृष्णा-स्वार्थ-कायरता आदि) 
शत्रु-दोषों  से मुक्त रहें ! 
हे गोपेश्वर ! हमारे मन-तन-धन सर्वश्व श्रीश्यामा-श्याम के नाम हों !   
!राधे-राधे!!राधे-राधे!!राधे-राधे!!राधे-राधे!
!राधे-राधे!!राधे-राधे! 
!स्वीट राधिका राधे-राधे! 


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हे केदार-नाथ, हे शम्भू , हे शिव, हे जगदीश , हे औढर-दानी ,
हे त्रयम्वकेश्वर , हे पशु-पति नाथ , हे नागेश्वर, हे ममलेश्वर, 
हे घ्रिश्मेश्वर  , हे आशेश्वर, हे रामेश्वर, हे विश्वनाथ, हे महाकालेश्वर, 
हे विश्वेश्वर , हे ओंकारेश्वर, हे गोपेश्वर ,हे कामेश्वर, हे भूतेश्वर, 
हे अर्ध-नारीश्वर ,हे महादेव,हे गौरी-पति , हे पार्वती-पति, हे हर , 
हे वरेश्वर ,हे भूत-नाथ, हे रूद्र, हे भगवान शंकर करुणावतारम 
मैं रघुपति चरित गाथा निर्बाध रूप से लिखती रहूँ आपकी कृपा सहायता लाभ मुझे प्रति-पल मिलता रहे  !
कर्पूर गौरम करुणावतारं , संसार सारं भुजगेन्द्र हारं !  
सदा वसंतं हृदयार विन्दे , भवं भवानी सहितं नमामि !! 
भवानी शंकरौ वन्दे , श्रृद्धा विश्वास रुपिणौ !
याभ्यां विना न पश्च्यन्ति , सिद्धाः स्वान्तः स्थमीश्वरम !!  
गुरु पितु मातु महेश भवानी ! प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी !! 
सेवक स्वामी सखा सियपी के ! हित निरुपधि सब विधि तुलसी के !! 
वन्दौ बोध मयं नित्यं गुरुं शंकर रुपिणौ ! 
यमाश्रितो हि वक्रोपि चन्द्रः सर्वत्र वन्ध्यते !!  
शंकर सरिस न कोऊ प्रिय मोरें !
*** ॐ नम: शिवाय ***
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं !
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं !!




2 comments:

  1. कोऊ न संकर सम प्रिय मोरे !
    शंकर सरिस न कोऊ प्रिय मोरें !
    *** ॐ नम: शिवाय ***
    नमामि शमीशान निर्वाण रूपं !
    विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं !!

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  2. *गोविन्द दामोदर स्तोत्रं*

    -राधे-राधे-श्याम सुन्दर-





    करारविन्देन पदार्विन्दं, मुखार्विन्दे विनिवेशयन्तम्।
    वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥

    श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव।
    जिव्हे पिबस्वा मृतमेव देव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    विक्रेतुकामाखिल गोपकन्या, मुरारि पादार्पित चित्तवृतिः।
    दध्यादिकं मोहावशादवोचद्, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    गृहे-गृहे गोपवधू कदम्बा:, सर्वे मिलित्वा समवाप्ययोगम्।
    पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    सुखं शयाना निलये निजेऽपि, नामानि विष्णोः प्रवदन्तिमर्त्याः।
    ते निश्चितं तन्मयतमां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    जिह्‍वे दैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
    समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    सुखावसाने इदमेव सारं, दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
    देहावसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    जिह्‍वे रसज्ञे मधुरप्रिया त्वं, सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
    आवर्णये त्वं मधुराक्षराणि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    त्वामेव याचे मन देहि जिह्‍वे, समागते दण्डधरे कृतान्ते।
    वक्तव्यमेवं मधुरम सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णो।
    जिह्‍वे पिबस्वा मृतमेवदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

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    *स्वीट राधिका-राधे-राधे*

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