sweetie radhika radhey-radhey

Wednesday, July 20, 2011

वन्दौ गुरु पद पदुम परागा ! सुरुचि सुवास सरस अनुरागा !!

गुरुर्ब्रह्मा   गुरुर्विष्णु   गुरुर्देवो   महेश्वरः !
गुरु  साक्षात्   परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः !!

मित्रो , हमारे पावन सनातन धर्मं संस्कृति में श्री गुरु महिमा हेतु विभिन्न वेद-पुराण-शास्त्रादि में सर्व-श्रेष्ठ-सर्वोपरि-ईश्वर तुल्य वर्णन है ! यह सत्य है कि श्री गुरु कृपा से  हम सहज ही सर्वस्व  प्राप्ति -श्री गोविन्द चरण-कमल अनुराग प्राप्त   कर लेते हैं ! श्री गुरु सेवा  हमें संपूर्ण अपराधों से मुक्त कर श्री केशव पदपंकज   पराग मधुकर लालसा प्रदत्त कर कृत्य-कृत्य कर देती है !
भगवान श्री रामचन्द्र जी भी भक्ति-मति माता शबरी जी को नवधा भक्ति समझाते हुए श्री गुरु पद पंकज सेवा ईश्वरीय भक्ति सदृश परिभाषित कर रहे हैं ! "गुरु पद पंकज सेवा तीसरी भक्ति अमान "  

श्री काकभुसुंडी जी भी भगवान श्री राम जी के दर्शन कर - भगवान श्री राम के वालचरित सुधा पान कर अपने श्री गुरु जी का स्मरण कर रहे हैं ! 

"एक वानि मैं विसरि न काहू ! गुरु सन कोमल शील सुभाऊ !!"

आपको पता ही होगा पूर्व जन्म में किस प्रकार शिवालय में अपने श्री गुरु जी कि अवज्ञा पर काकभुशुण्डी जी को भगवान शंकर के कोप का भजन करना पड़ा था ! तदुपरांत गुरूजी ने कैसे भगवान श्री भवानी-शंकर को प्रार्थना कर काकभुशुण्डी जी पर कृपा-आशीर्वाद करने को कहा फल स्वरुप काक भुशुण्डी जी आज चिरंजीव हैं -माया से मुक्त हैं एवं भगवान श्री रामचंद्र जी के दर्शन लीला प्राप्त करते -रहते हैं ! भगवान के वाहन-सेवक पक्षी राज गरुड़ जी भी शंका होने पर श्री काकभुशुण्डी जी से मार्ग-दर्शन लेने आते हैं !
यहाँ काकभुशुण्डी जी श्री गुरु महिमा को यद् कर पुलकित हो रहे हैं कि कैसे गुरु जी ने अपमान किये जाने पर सर्वोपरि निधि-स्थान प्रदान कर मुझे अनुग्रहित किया है !  

संत कबीरदास जी भी इसी श्रंखला में कह रहे हैं -
गुरु गोविन्द दोउ खड़े- काके लागों पाय !
बलिहारी गुरु आपकी -गोविन्द दियो बताय !!
कबीरा हरि के रुठते - गुरु के शरने जाय ! 
कह कबीर गुरु रुठते - हरि नहिं होय सहाय !!
अर्थात कबीर दास जी श्री गुरु पद-पंकज में वंदन सर्व-प्रथम करते हैं क्योंकि श्री गुरु ही के कारन वो आज गोविन्द प्रीतिरस माधुरी  में डूवे हैं ! साथ ही कबीर जी को विश्वास है कि श्री हरि अपराध होने पर श्री गुरु कृपा उन्हें उबार लेगी ! परन्तु श्री गुरु अपराध उन्हें श्री हरि से स्वतः ही दूर कर देगा !

गोस्वामी तुलसीदास जी श्री गुरु महिमा में लिख रहे हैं -

वन्दौ गुरु पद पदुम परागा ! सुरुचि सुवास सरस अनुरागा !!
अमिय मूरि मय चूरन चारू ! समन सकल भव रुज परिवारू !!
सुकृति शम्भू तनु विमल विभूति !
अर्थात श्री गुरु चरणरज भगवान शंकर के शरीर पर मली हुई भस्म के समन सुकीर्ति-सम्मान-सफलता -प्रतिष्ठा एवं श्री राम पद-पंकज पराग प्रदायी सरस-सुगन्धित-मनोहारी है ! यह संजीवनी बूटी के समन अमरत्व प्रदान कर सम्पूर्ण भव-क्लेशों से मुक्ति प्रदान करने में समर्थ है  ! 


परन्तु दुर्भाग्य से आज इस परम पद-जगत कल्याण कारी पद (श्री गुरु पद ) को विभिन्न ठग-लुटेरे व्यवसाय बना कलंकित कर रहे हैं ! ये बहुरूपिये नानाप्रकारेन  ढोंग-स्वांग-चमत्कार-जादू -टोने  दर्शा कर भोली-भली जनता को भ्रमित कर पावन एवं महत सनातन धर्म-संस्कृति को ठेस पहुंचा कर धर्मं एवं आस्था को लूट रहे हैं  ! ये विभिन्न प्रकार के कर्म-धर्म-मर्म-ज्ञान-भक्ति उपदेश कर भजन गा-गा कर अपने को महान भक्त-संत-ज्ञानी सिद्ध करते हैं ! इनके एजेंट इनकी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर कह-सुन कर -प्रचारित कर लोगों को इन्हें अनुकरण करने को प्रेरित कर देते हैं ! तव ये धूर्त ढेरों   चेले-चेली बना  उनका शारीरिक-आर्थिक एवं आध्यात्मिक शोषण कर उनकी सभी प्रकार की संपत्तियों को हड़प जाते हैं ! माता-बहनों को अपने भाषणों पर गीतों पर नचवाते हैं ! अपने फोटो की पूजा को आग्या-सलाह देते हैं  ! अपने नाम के जप को कहते हैं ! गुरु गीता आदि नाम से उपलब्ध ग्रंथों के पथ को कहते हैं ! अपने नाम से रामायण-चालीसा-गीता आदि छपवाकर उन्हें पढ़ने को -पाठ करने को बोलते है  , जिसमें भगवान राम एवं श्याम तो नहीं होते केवल इनके कलुषित चरित गाथाएं जो नितांत भ्रमकारी-नरक प्रदायी हैं ,, पढ़ने/पढ़ाने वाले के  इस लोक एवं पर लोक दोंनो को नष्ट करने वाली हैं,, छपी होती हैं !


इन दुष्टों से कोई पूछे क्या राम के बिना कोई रामायण होती है क्या ?? तुम्हारी चरित गाथा कैसे रामायण हुयी ? और भगवान की आज्ञा के आलावा और कोई कैसे गीता हुई ? तुम्हारे मन गढ़ंत किस्से कैसे गीता हुए ? क्या भगवद नाम - हरेकृष्ण महामंत्र से बड़ा और कुछ है जपने को तो तुम जैसों के नाम क्यों जपें ? भगवान के चित्रों - मूर्तियों से सुन्दर कृपाकारी जीवन्त  और कुछ या और कोई है क्या जो तुम्हारे फोटो पूजें ? तुम हजारों-लाखों चेले-चेली बनाते हो कभी समय दिया है इनकी कुछ सुनने में ? केवल गुरु पूर्णिमा जैसे दिवसों पर इन मूर्खों को लाइन में घंटों खड़ा कर पूजा-दक्षिणा लेने को चेले बनाते हो ? क्या गीता प्रेस गोरखपुर से अच्छी-त्रुटी रहित-सस्ती पुस्तकें छाप सकते हो जो अपने ढपोल रगों को बखान कर महँगी-महँगी पुस्तकें वेच अपना व्यवसाय-प्रचार करते हो ?? जब "कल्याण" जैसी ज्ञान-भक्ति बर्धक मासिक पत्रिकाएं गीता प्रेस गोरखपुर से निकलती ही हैं तो क्यों अपनी तुच्छ पत्र-पत्रिकाओं से लोगों को भ्रमित कर व्यवसाय चलाते हो ??  
जब प्रातः स्मरणीय ब्रह्मलीन संत श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुख दास जी महाराज ने अपने फोटो नहीं खिंचाये -अपनी पूजा नहीं करायी- अपने आश्रम नहीं बनाये - बड़े-बड़े होर्डिंग्स अपने नाम-फोटो से नहीं टंगवाए ,, स्त्रियों को कभी अपने सत्संग में नहीं नचाया  
तो क्या आप उनसे बड़े ज्ञानी-ध्यानी-भक्त -प्रेमी संत हैं जो दिन-रात चेला-चेली बनाते हो ?-अपनी पूजा-भक्ति कराते हो ?, बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर अपने नाम-फोटो लगा प्रचार कराते हो ?,स्त्रियों को भी चेली बना अपने पंडालों पर विभिन्न संगीत-भजनों पर नचाते हो ?? 
जबकि स्त्रियों का अपने पति के आलावा किसी अन्य पुरुष को गुरु मानना शास्त्र विरुद्ध-धर्म विरुद्ध है !   और तुम इन्हें चेली बनाकर शास्त्र विरुद्ध-धर्मं विरुद्ध आचरण करते हो ? 
दुनिया को धन दान करने-सेवा करने की सलाह उपदेश देकर स्वयं क्या दान-सेवा करते हो ? अपने को लक्जरी कार-बंगलों सेवकों में रख दूसरों को वैराग्य का उपदेश देते हो ? अपने साथ-साथ अपने बेटे-बेटियों को भी गुरु महाराज-भगवान बना लोगों को पूजने को बोलते हो ?? 
क्या आप ने धर्म-भगवान का ठेका ले रखा है ???   




मित्रो इन्हीं पाखंडियों की पोल खोलने के लिए एवं महत गुरु पूजा के स्वरुप की स्थापनार्थाय ही मैंने फेसबुक पर इवेंट" true guru -real  gurupuja  " का आयोजन किया , जिस पर अनेकों मित्रों ने सहभागित की ,, कुछ एक ऐसे कालनेमि गुरुओं के चेले-चेली भी आये जो उल्टा-सीधा बोलने लगे ! पर मुझे इन कुकुरों से क्या ?? ये तो जब कोई हाथी निकलता है तो  ऐसे ही भोंकते रह जाते हैं .. इन्हें डर होता है की कोई इनका निवाला न छीन ले ! मुझे किसी की रोटी नहीं छीननी -मेरा कार्य तो धर्म सेवा करना है जो में कर रही हूँ ! सत्य को उजागर कर अपने महान सनातन धर्मं संस्कृति की आभा से सम्पूर्ण जगत को लाभान्वित करना है !!
मेरी आप सबसे विनम्र निवेदन है - स्वयं की पूजा-नाम जप-स्तुति करने वाले -ढेरों चेले-चेली वनाने वाले-विभिन्न कार-बंगलों-सुरक्षा गार्ड वाले गुरुओं से दूर रहें एवं जन-मानश को इनकी चालों से अवगत करा धर्म सेवा करें ! 
जय हिंदुत्व -जय भारत !!




साथियों मेरा विश्वास है साथ ही विभिन्न संत-भक्तों का भी मत है कि  अच्छा हो आप किसी पूर्ववर्ती  संत महात्मा आचार्य को जिसका जीवन वृत्त-भक्ति प्रेम आपके सम्मुख हो जैसे श्री मन चैतन्य महाप्रभु- संत तुकाराम जी -महाप्रभु वल्लभाचार्य जी- श्री मन महाप्रभु रामानुजचार्य जी -महाप्रभु निम्बार्काचार्य जी -जगद गुरु आदि शंकराचार्य जी -भक्ति मति मीरा बाई जी - स्वामी विवेकानंद जी - श्री कृष्ण भक्ति प्रचारक भक्ति वेदांत सरस्वती प्रभुपाद  जी -गोस्वामी तुलसी दास जी-श्री शुकदेव जी आदि को अपना आचार्य-गुरु-मार्ग दर्शक मान भक्ति पथ पर चल सकते हैं ! आप सीधे श्री रामचरितमानस-श्री मद भागवत-भगवद गीता को भी अपना गुरु   मान  लाभान्वित हो सकते हैं !आप स्वयं श्रीभगवान को भी अपना गुरु मान भक्ति प्राप्त कर सकते हैं
 -यथा-"श्री कृष्णं वन्दे जगदगुरुम " "गुरु-पितु-मातु महेश भवानी "
"वन्दौ बोध में नित्यं गुरुम शंकर रुपिणम ! यमाश्रितो ही वक्रोपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते !!" 
 आप श्रीजी को भी अपनी गुरु मान सहज ही श्री हरि कृपा प्राप्त कर सकते हैं !आप ही केवल इस प्रकार गुरु मानने वाले नहीं होंगे अपितु आपसे पहले भी अनेकों ने इस प्रकार गुरु मानकर श्री हरि कृपा प्राप्त की है ! और रही किसी गुरु की परीक्षा कर मानने की बात तो भैया जो गुरु है -यानि सीनियर है -बड़ा है-महान है उसकी परीक्षा हेतु हममें योग्यता कहाँ ! अतः सुरक्षित एवं सही विधि है सीधे गोविन्द या गोविन्द के अनुवर्ती-अनुयायी-गाथा-नाम को अपना गुरु स्वीकार कर सहज ही भव-निधि से पार  हो 
गोविन्द कृपा-शरणागति प्राप्त कर जीवन सफल करें ! 




रही बात सच्चे संत -भक्त के मिलाने की तो वो जिस दिन भगवान हम पर कृपा करेंगे हमें मिल जायेंगे कहीं ढूँढने नहीं जाना ! वो संत-भक्त स्वतः गुरु रूप से हम पर कृपा कर हमसे बिना कुछ लिए-बिना हमारे दोषों का बखान-डर दिखलाये सहज ही  श्री भगवद चरित सुधा कह हमें श्री रघुपति सन्देश प्रदान कर ,, हमें श्याम सुन्दर भगवान से मिला देंगे ! जैसे श्री हनुमान जी महाराज ने भक्त बिभीषण जी को श्री राम जी से 
मिलाया था !




नमः पारवती पत्ये हर-हर महादेव !!
जय -जय सियाराम !!
जय-जय राधे श्याम !!
जय श्री हरि !! 
जय  श्री हनुमान जी महाराज !!

4 comments:

  1. these comments and note are for a attention before obeying a guru ... may be he is a cheater-business mind people who is making innocent people on the name of spirituality .. so better you obey your guru directly any previous well known sant-devotee or any spiritual book or lord krishna !! because lord krishna is the guru of all and his divine song shrimad bhagavad geeta is guru mantra and chanting -kirtan harekrishna mahamantra is the best way to get him (krishna) !! harekrishna !!

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  2. वेद-पुराण-संत मत एहू ! सुकृत सकल पद राम सनेहू !!
    जय सियाराम !!
    मित्रो ! वेद-पुराण एवं सभी संतों का एक ही मानना है कि यदि आपके ह्रदय में भगवान श्री सीताराम जी के भक्त मनहारी श्री युगल चरणारविन्दों में प्रीति है तो समझो आपको आपके सभी सुन्दर कृत्यों-कर्मों का फल मिल गया !!
    जय-जय सियाराम !!
    आप इसे इस प्रकार भी समझ सकते हें कि सभी सुकृत(सुन्दर कर्म) केवल श्री राम पद पंकज प्रीति ही हैं
    जय-जय सियाराम !!

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  3. shri mad bhagawad geeta is the true GURU of universe lighting lord KRISHNA and his SUPREME SUGGESTION IN THE WORLD
    REAL GURU PUJA IS OBEYING SHRI MAD BHAGAWAD GEETA
    if we obey lord krishna's supreme education shri mad bhagavad geeta then all success of universe are on our head ..
    नमः पार्वती पत्ये हर-हर महादेव
    जय -जय सियाराम
    जय श्री राधेश्याम

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  4. 🙏🙏 राधे-राधे

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