लड़के-लड़कियों की अलग पढ़ाई फिर लोकप्रिय
SWEETIE RADHIKA RADHEY-RADHEY *
80 से 90 के दशक में भारत में को एजुकेशन यानी लड़के-लड़कियों के लिए एक साथ पढ़ाई इतनी लोकप्रिय हुई कि यह फैशन में तब्दील हो गई। अब पटरी फिर पुराने दिनों कि ओर लौट रही है क्योंकि शिक्षाविदों को समझ में आ रहा है कि अलग-अलग रखने पर लड़के और लड़कियों में काफी अच्छे बदलाव देखे गए हैं।
अमेरिका के कैंसास सिटी के तीन स्कूलों में छात्रों के बीच दुर्व्यव्हार को कम करने के लिए लड़के और लड़कियों को अलग-अलग लंच देना शुरू किया गया है। नतीजा सामने आया कि लड़के और लड़कियों दोनों की खाने की आदतें सुधरी। कैंसास का मिडिल स्कूल द विषेटे में 11 से 14 साल के लड़के-लड़कियों के लिए अब खाना अलग-अलग होता है।
छात्रों के बीच छेड़खानी कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। प्लेजेंट वैली मिडिल स्कूल के प्रधान अध्यापक माइकल आर्किबेक कहते हैं, 'लड़कियों को यह बहुत पसंद आ रहा है क्योंकि लड़कों के बगैर उनके पास अपने लिए समय होता है और लड़के भी लड़कियों को रिझाने के लिए अतिशयोक्ति नहीं करते। मुझे लगता है कि इस उम्र के लिए एकदम सही तरीका है।'
लेकिन प्रधानाध्यापक को सबसे अच्छी बात तो यह लग रही है कि वह बच्चे अपना खाना पूरा खत्म कर रहे हैं। इसका मतलब कि खाना फेंका नहीं जाता और बच्चे भूखे पेट पढ़ाई नहीं करते। 'मुझे विश्वास ही नहीं होता कि इतने बच्चे अब खाना खा रहे हैं।'
वहीं विषेटे के ट्रूसडेल मिडिल स्कूल में पिछले दो साल से लड़के और लड़कियों के लिए दोपहर का भोजन अलग-अलग होता है। प्रिंसिपल जेनिफर सिनक्लेर कहती हैं कि इसका अच्छा असर बाद में भी इन बच्चों पर देखा जा सकता है। सिनक्लेर कहती हैं कि बच्चों को यह पसंद भी आ रहा है क्योंकि हाल ही में जब साथ में खाने का प्रस्ताव रखा गया तो बच्चों ने कोई रुचि नहीं दिखाई।
कैंसास के शिक्षा विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि सिर्फ विषेटे में ही इस तरह के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। वैसे अमेरिका में लड़के और लड़कियों की अलग पढ़ाई धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है क्योंकि सामने आया है कि ऐसा करने से बच्चे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देते हैं और उनके सामाजिक व्यव्हार में अच्छा बदलाव आता है।
जनवरी 2011 में कम से कम 524 अमेरिकी पब्लिक स्कूल ऐसे थे जहाँ लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग कमरे थे। जबकि 2002 में ऐसे एक दर्जन स्कूल भी नहीं थे।
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